CLFMA प्रेसिडेंट बोले, पोल्ट्री के सामने हैं तीन बड़ी चुनौतियां, मिलकर सामना करने की है जरूरत

CLFMA प्रेसिडेंट बोले, पोल्ट्री के सामने हैं तीन बड़ी चुनौतियां, मिलकर सामना करने की है जरूरत

अंडे और चिकन से जुड़ा पोल्ट्री सेक्टर सबसे ज्यादा फीड की बढ़ती कीमत और उसकी कमी के असर से जूझ रहा है. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक पोल्ट्री में सबसे ज्यादा लागत फीड पर ही आती है. इसलिए जब भी फीड में उतार-चढ़ाव आता है तो उसका सीधा असर अंडे-चिकन की लागत पर ही पड़ता है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 29, 2025,
  • Updated Apr 29, 2025, 8:19 PM IST

‘इंडियन पोल्ट्री सेक्टर तीन बड़ी चुनौतियों से निपट रहा है. परेशानी की बात ये है कि आने वाले साल 2026 में इसका साफ असर दिखाई देगा. आने वाले साल में पोल्ट्री सेक्टर में कुछ कमी दिखाई देगी इसकी भविष्यवाणी एक इंटरनेशनल संस्था भी कर चुकी है. इसलिए जरूरत है कि हम सब पोल्ट्री सेक्टर की चुनौतियों का सामना मिलकर करें.’ ये कहना है मिश्रित पशुधन फीड निर्माता संघ (CLFMA) के प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी का. मौका था हाल ही में पटना में यूएस ग्रेन्स काउंसिल और बिहार पोल्ट्री फार्मर्स एसोसिएशन के साथ क्लेफमा ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित सेमिनार का. 

सेमिनार का विषय "भारत में पोल्ट्री: वर्तमान चुनौतियां और आगे का रास्ता" था. दिव्य गुलाटी का ये भी कहना है कि इन चुनौतियों का सामना करने में रणनीतिक सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा. साथ ही सेमिनार के दौरान दूसरे वक्ताओं ने पोल्ट्री और डेयरी में डीडीजीएस के इस्तेमाल को लेकर भी काफी चर्चा हुई. 

फीड, बाजार और सप्लाई हैं तीन बड़ी चुनौतियां

दिव्य कुमार गुलाटी का कहना है कि फीड लागत पोल्ट्री सेक्टर को बहुत प्रभावित कर रही हैं. वहीं सप्लाई चेन में रुकावट के चलते भी पोल्ट्री सेक्टर पर इसका असर पड़ रहा है. जबकि पोल्ट्री बाजार में आ रही अस्थिेरता के चलते पैदा होने वाली परेशानियां भी पोल्ट्री सेक्टर के लिए बड़ी चुनौतियां बन रही हैं. ये चुनौतियां बेहद परेशान करने वाली हैं. क्योंकि हाल ही में आई क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट बताती है कि साल 2026 में पोल्ट्री सेक्टर में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है. क्रिसिल रेटिंग्स ने इसका एक बड़ा कारण पोल्ट्री फीड के मुख्य तत्व मक्का और सोयाबीन को बताया है. हालांकि एक अच्छी उम्मीद ये है कि पोल्ट्री सेक्टर में मजबूत मांग और खपत के कारण राजस्व वृद्धि में अभी भी 8-10 फीसद की वृद्धि होने का अनुमान है. 

फीड लागत कम करने को डीडीजीएस में रिसर्च की जरूरत 

सेमिनार के दौरान बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (बासु) के पशु पोषण विभाग के प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और अनुसंधान उपनिदेशक पंकज कुमार सिंह का कहना है कि पशुधन और मुर्गी फीड में डीडीजीएस के इस्तेमाल की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की और आहार लागत में कमी लाने, दक्षता में सुधार लाने के लिए डीडीजीएस के अनुसंधान आधारित उपयोग की वकालत की. वहीं सेमिनार में अमित सचदेव, क्षेत्रीय सलाहकार, यूएस ग्रेन्स काउंसिल ने कार्यक्रम के दौरान भारत की फीडस्टॉक स्थिति और इसके वैश्विक प्रभावों का अवलोकन साझा किया. रीस एच कैनाडी, निदेशक, यूएस ग्रेन्स काउंसिल ने वर्तमान अनाज आपूर्ति चुनौतियों के लिए यूएस सोरघम एक संभावित समाधान पर प्रेजेन्टेशन दिया. 

ये भी पढ़ें- Goat Farm: देश के सबसे बड़े बकरी फार्म का हुआ उद्घाटन, मंत्री बोले पीएम का सपना हो रहा सच

ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा

 

MORE NEWS

Read more!