पशु बीमार होगा तो उसका उत्पादन भी प्रभावित होगा. यही वो वजह होती है जब पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. एक तो पशु की बीमारी पर खर्चा होता है और दूसरा बीमार होने पर पशु का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. पशु की ग्रोथ भी रुक जाती है. इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि अगर आप नया पशु खरीदने जा रहे हैं तो नए पशु को घर लाने से पहले उसके तीन टेस्ट जरूर करा लें. ये तीन टेस्ट कराने के बाद पशुओं को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है. साथ ही बीमारियों पर होने वाले खर्च को बचाकर दूध उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है.
ये तीन टेस्ट हैं टीबी रोग, जेडी रोग एवं ब्रूसेलोसिस या गर्भपात संक्रामण. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि पशुओं को होने वाली टीबी पशुपालकों को भी हो सकती है. टेस्ट के दौरान पशुओं की चमड़ी में टीका लगाकर टीबी का पता लगाया जाता है. जेडी बीमारी भी टीबी की तरह जीवाणु माइकोबैक्टेरियम से होती है. इस बीमारी में पशु लगातार दस्त करता है. इसका टेस्ट भी टीबी की तरह से ही होता है.
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