Milk Cooperative: कोऑपरेटिव से 75 और कॉर्पोरेट से 32 पैसे मिलते हैं डेयरी किसान को, कैसे बढ़ेगी इनकम

Milk Cooperative: कोऑपरेटिव से 75 और कॉर्पोरेट से 32 पैसे मिलते हैं डेयरी किसान को, कैसे बढ़ेगी इनकम

केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ने डेयरी से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि मिल्क कोऑपरेटिव से ही पशुपालकों और डेयरी किसानों का भला होगा. क्योंकि‍ कोऑपरेटिव को ग्राहकों से जो पैसा वापस मिलता है उसका 75 फीसद डेयरी किसान और पशुपालकों को पास कर दिया जाता है.

वाराणसी में गठित काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी में 30 हजार शेयरहोल्डर (फोटो-किसान तक)वाराणसी में गठित काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी में 30 हजार शेयरहोल्डर (फोटो-किसान तक)
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 04, 2025,
  • Updated Mar 04, 2025, 2:04 PM IST

पशुपालक और डेयरी किसानों की इनकम बढ़ाने और जरूरत पड़ने पर आसानी से वित्तीय सहायता मिल जाए इस पर बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि हमने सारे खाते कोऑपरेटिव बैंकों में खोलने के लिए Cooperation Amongst Cooperatives की शुरूआत की है. नई दिल्ली में डेयरी से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि आज गुजरात में 93 फीसद संस्थाओं के खाते सहकारी बैंकों में खुले हुए हैं. इससे सहकारिता के लिए अपने आप धन भी उपलब्ध हुआ है और बैंक भी मज़बूत हुए हैं. इतना ही नहीं गुजरात में माइक्रो ATM के मॉडल से प्रदेश के पशुपालकों को बड़ा फायदा मिल रहा है. 

इसलिए नॉबार्ड को चाहिए कि  इस मॉडल को देश के हर जिले तक पहुंचाए. वहीं हमारी ये कोशि‍श भी होनी चाहिए कि डेयरी सेक्टर में फैट नापने से लेकर डेयरी के सभी प्रॉडक्ट्स के साथ जुड़ी मशीनों का उत्पादन भारत में ही हो. साथ ही कार्बन क्रेडिट को डेयरी सेक्टर का हिस्सा बनाना चाहिए. इसका फायदा डेयरी किसान को मिले इसके लिए कोऑपरेटिव मॉडल पर वैज्ञानिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए.

डेयरी किसान का मुनाफा बढ़ाने को तय हो लक्ष्य 

अमित शाह ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि कोऑपरेटिव डेयरी क्षेत्र में उपभोक्ता के पास से आने वाले पैसे में से 75 फीसद से ज्यादा किसानों को वापस मिलता है. जबकि कॉर्पोरेट सेक्टर में किसानों को सिर्फ 32 फीसद पैसा ही वापस मिलता है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि हमें देश के हर किसान के लिए इस अंतर को कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इसके साथ ही कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े डेयरी किसानों से  16 करोड़ टन गोबर को हमारे कोऑपरेटिव के नेट में लाने की कोशि‍श करनी चाहिए.

बढ़ा सकते हैं डेयरियों की संख्या 

अमित शाह का कहना है कि आज देश में 23 राज्यस्तरीय मिल्क कोऑपरेटिव हैं, लेकिन हमें श्वेत क्रांति-2 के तहत हर राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश में एक राज्यस्तरीय कोऑपरेटिव की स्थापना करनी चाहिए. देश के 80 फीसद जिलों में मिल्क कोऑपरेटिव बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए. इतना ही नहीं मौजूदा वक्त की 28 मार्केटिंग डेयरियों की संख्या बढ़ाकर तीन गुना कर सकते हैं. अच्छी खबर ये है कि मीथेन और कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन में बहुत कमी आई है, इसलिए इसका सौ फीसद कार्बन क्रेडिट किसानों के बैंक खाते में जाना चाहिए और सर्कुलरिटी का असली मतलब भी यही है. डेयरी कोऑपरेटिव सेक्टर महिलाओं को रोजगार देने के मामले में भी बहुत काम करता है और आज कोऑपरेटिव डेयरी सेक्टर में 72 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं. इससे से साबित होता है कि कोऑपरेटिव डेयरी सेक्टर में महिलाओं के रोजगार और सशक्तिकरण पर काम होता है.

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