महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने भारी बारिश और बाढ़ से किसानों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए आज छत्रपति संभाजीनगर का दौरा किया. इस दौरान राणे ने कहा कि बारिश और बाढ़ से किसानों के साथ-साथ मछुआरा भाइयों का भी बड़ा नुकसान हुआ है. इसी की समीक्षा और जानकारी लेने के लिए उन्होंने आज छत्रपति संभाजीनगर का दौरा किया. इस मौके पर विभागीय आयुक्त, सहआयुक्त, कलेक्टर और अन्य अधिकारी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की तरह ही मछुआरों को भी भरपूर मदद देगी.
छत्रपति संभाजीनगर पहुंचे नितेश राणे ने कहा कि तालाबों, पिंजरों और जाल का जो नुकसान हुआ है, उसका पंचनामा लगभग पूरा हो चुका है. 5 से 10 प्रतिशत रिपोर्ट बाकी है. यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी और उसके बाद मछुआरों को भी नुकसान की भरपाई मिलेगी. राणे ने आगे कहा कि सरकार मछली का बीज डेढ़ रुपये में देती है, जबकि निजी स्तर पर यह 50 पैसे में मिलता है. इस अंतर का फायदा कुछ लोग उठा रहे हैं. इसमें रैकेट भी सक्रिय हैं. इस पर नियंत्रण के लिए पुलिस की मदद लेकर कार्रवाई की जाएगी ताकि मछुआरों को सरकारी दर पर सही दाम में बीज उपलब्ध हो.
अभी तक 20 से 22 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज हुआ है. बीड और लातूर जिले में पंचनामे बाकी हैं. अंतिम रिपोर्ट आने के बाद आंकड़ा 5 से 10 करोड़ और बढ़ सकता है. विदेशी मछली के मामले को लेकर राणे ने बताया कि विदेशी ‘लावा’ मछली पारंपरिक प्रजातियों को खा रही है. इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा. केंद्रीय मत्स्य मंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. वहीं तालाबों के बंटवारे और झगड़ों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सोमवार को मछुआरा संघ के अध्यक्ष और अन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी. उनकी जानकारी और सुझावों के आधार पर सरकार निर्णय लेगी.
इस दौरान फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट पर राणे ने बताया कि जायकवाड़ी जैसे जलाशयों में फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई गई है. इस पर राणे ने कहा कि यह विषय उनके विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, लेकिन मछुआरों के हितों की रक्षा की जाएगी. जिला परिषद के तालाबों पर राणे ने कहा कि महाराष्ट्र के बड़े बांध और तालाब मत्स्य विभाग को सौंपे जाएं. जिला परिषद के तालाबों का पंचनामा भी जल्द पूरा किया जाएगा.
वहीं इस दौरान रामदास कदम के आरोपों पर राणे ने कहा कि आखिरी दिनों में उद्धव ठाकरे ने राणे साहब को बालासाहेब ठाकरे से मिलने की अनुमति नहीं दी. उस समय की सच्चाई क्या है, यह उद्धव ठाकरे को बताना चाहिए. अगर वे चुप रहे तो हमारे दावों पर मुहर लग जाएगी.
(रिपोर्ट- इसरारुद्दीन चिश्ती)
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