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Weather Special Report: ठंड में सूखा, अब गर्मी में बर्फबारी-बारिश से तबाही...कश्मीर को ये क्या हो गया है!

Weather Special Report: ठंड में सूखा, अब गर्मी में बर्फबारी-बारिश से तबाही...कश्मीर को ये क्या हो गया है!

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने 'इंडिया टुडे' से कहा, "हाल ही में मौसम के पैटर्न में निश्चित रूप से बदलाव आया है. हिमालयी क्षेत्र में आमतौर पर अक्टूबर से पश्चिमी विक्षोभ की शुरुआत होती है, जो दिसंबर-जनवरी में चरम पर होता है और फिर फरवरी-मार्च तक ये पैटर्न कमजोर हो जाते हैं. इस साल अक्टूबर से जनवरी के दौरान कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जिससे क्षेत्र पूरी तरह से सूखा रहा. इसकी शुरुआत फरवरी में हुई और सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ अब तक जारी है, जो एक नई घटना है."

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कश्मीर में बर्फबारी ने बढ़ाई परेशानी कश्मीर में बर्फबारी ने बढ़ाई परेशानी

ऐसे समय में जब देश के बाकी हिस्से बहुत अधिक गर्मी का सामना कर रहे हैं, कश्मीर में बर्फबारी का एक और दौर देखने को मिल रहा है. इससे कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में तापमान में भारी गिरावट आई है. गुलमर्ग, सोनमर्ग, कुपवाड़ा, बारामुला, गुरेज जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में सभी को हैरत में डालते हुए ताजा बर्फबारी हुई है. यह बेमौसम बर्फबारी तब हुई है जब दिसंबर और जनवरी सहित सर्दियों के बर्फबारी वाले मौसम में पूरी तरह से सूखा दर्ज किया गया था. सर्दियों का महीना इतना सूखा रहा कि स्थानीय लोगों को बारिश और बर्फबारी लाने के लिए ईश्वर से मिन्नतें करनी पड़ी. इसके लिए कश्मीर के कई हिस्सों में प्रार्थनाएं करनी पड़ीं.

आखिर इस बदले मौसम का कारण क्या है? इसके बारे में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है. इस परिवर्तन से पूरी दुनिया में तापमान वृद्धि देखी जा रही है. यह जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न पर प्रभाव डाल रहा है. कश्मीर भी इसी में एक है जहां फरवरी के महीने में औसत तापमान में कई डिग्री की तेजी देखी गई. पारे में यह तेजी यहां की कृषि और बागवानी फसलों को भी नुकसान पहुंचा रही है. हालांकि यह रिसर्च का विषय है कि जलवायु परिवर्तन से फलों और सब्जियों पर कितना असर पड़ रहा है और आगे यह खतरा कितना गंभीर हो सकता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने 'इंडिया टुडे' से कहा, "हाल ही में मौसम के पैटर्न में निश्चित रूप से बदलाव आया है. हिमालयी क्षेत्र में आमतौर पर अक्टूबर से पश्चिमी विक्षोभ की शुरुआत होती है, जो दिसंबर-जनवरी में चरम पर होता है और फिर फरवरी-मार्च तक ये पैटर्न कमजोर हो जाते हैं. इस साल अक्टूबर से जनवरी के दौरान कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जिससे क्षेत्र पूरी तरह से सूखा रहा. इसकी शुरुआत फरवरी में हुई और सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ अब तक जारी है, जो एक नई घटना है."

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परेशान लोगों की सुनिए

कश्मीर के लोकल लोग भी इन मौसमी बदलावों से परेशान हैं. गुलमर्ग के एक स्की ट्रेनर गुलज़ार अहमद कहते हैं, "जबकि आम तौर पर हम दिसंबर और जनवरी में भारी बर्फबारी देखते थे, इस साल गुलमर्ग सुनसान रहा क्योंकि उस महीने में बर्फबारी नहीं हुई. यही वजह है कि पर्यटक नहीं आए. इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी लोग परेशान रहे, यह बहुत ही असामान्य घटना है." 

यही बात सोनमर्ग में एटीवी चलाने वाले जुबैर डार ने भी दोहराई, "सरकार को संबंधित विभाग को एक स्टडी करने के लिए कहना चाहिए, मौसम विशेषज्ञ ही हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि मौसम इतना चौंकाने वाला क्यों हो गया है. यह अब खतरनाक भी हो रहा है, जैसा कि हमने भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड और जमीनों का फटना और दरकना देखा."

IMD ने बताई वजह

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD, जम्मू-कश्मीर के निदेशक डॉ. मुख्तार अहमद ने कहा, "आने वाले समय में चरम मौसम की घटनाएं बढ़ने वाली हैं, हमने मौसम की घटनाओं में पूरी दुनिया में परिवर्तन देखा है. फिर कश्मीर कैसे अछूता रह सकता है. अचानक बाढ़, हिमस्खलन आदि जैसी घटनाएं भी बढ़ेंगी, हमने कश्मीर में मौसम में बदलाव पहले ही देखा है, जनवरी से ही हमने अधिक सूखा मौसम की शुरुआत देखी और अब हम लगातार पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश का मौसम देख रहे हैं."

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कश्मीर के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई है, मैदानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई है, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है. उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा, हंदवाड़ा में बाढ़ और लैंडस्लाइड देखी जा रही है. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ-साथ श्रीनगर लद्दाख मार्ग अभी भी बंद है क्योंकि बड़े पैमाने पर चट्टानें खिसकने और लैंडस्लाइड के कारण कई जगहों पर सड़क बंद और टूट गई हैं. लोकल प्रशासन की मदद से सीमा सड़क संगठन (BRO) जल्द से जल्द मुख्य राजमार्गों को खोलने की पूरी कोशिश कर रहा है.

झेलम नदी में बाढ़

झेलम नदी बाढ़ की हालत है. हालांकि मौसम में मामूली सुधार के साथ नदी के जलस्तर में गिरावट आई है. मौसम विभाग ने अगले 3 दिनों में रुक-रुक कर बारिश जारी रहने का अनुमान लगाया है. मौसम में सुधार हुआ है लेकिन बर्फ टूटने का खतरा बना हुआ है. प्रशास ने अगले 24 घंटों के लिए मध्यम खतरे वाले हिमस्खलन की चेतावनी दी है. जिन 3 जिलों के लिए अलर्ट जारी किया गया है वे हैं बांदीपुर, गंदेरबल और कुपवाड़ा.(मीर फरीद की रिपोर्ट)