पिछले दो महीने में प्री-मॉनसून की बारिश में कमी दर्ज की गई है. मौसम विभाग का आंकड़ा देखें तो पता चलता है कि मार्च और अप्रैल में बारिश में 13 फीसद की गिरावट देखी गई है. इससे कई राज्यों में सूखे जैसे हालात हैं और इसका दुष्प्रभाव कई फसलों पर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 18 राज्यों में प्री-मॉनसून की बारिश में 13 परसेंट तक की कमी दर्ज की गई है. इन राज्यों में पिछले दो महीने में कम या कई जगह बहुत ही कम बारिश दर्ज की गई है. प्री-मॉनसून की बारिश उसे कहते हैं जो मॉनसून से पूर्व होती है.
मार्च और अप्रैल में जिन राज्यों में कम या बहुत ही कम बारिश हुई है उनमें अधिकांश दक्षिण भारत के राज्य हैं. इन राज्यों में गंभीर सूखे की स्थिति देखी जा रही है. जबकि दूसरी ओर मध्य भारत के कई राज्य हैं जहां प्री-मॉनसून में बहुत अधिक बारिश हुई है.
दक्षिण के जिन राज्यों में सबसे कम बारिश हुई है उनमें आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु का नाम है. मौसम विभाग बताता है कि आंध्र प्रदेश में सामान्य से 78 परसेंट कम और तमिलनाडु में सामान्य से 83 परसेंट कम बारिश हुई है. केरल में 62 परसेंट तो तेलंगाना में 58 परसेंट कम बारिश हुई है.
दक्षिण के राज्यों में बारिश कम होने के साथ लू और पारे में लगातार बढ़ोतरी से खतरा और बढ़ गया है. बारिश कम होने से जमीन से नमी पूरी तरह गायब है. दूसरी ओर, लू चलने और तापमान में बड़ी वृद्धि के चलते इंसानों के साथ जानवरों और पेड़-पौधों, फसलों को भारी नुकसान हुआ है.
दूसरी ओर, देश के मध्य हिस्से के ऐसे राज्य भी हैं जहां प्री-मॉनसून में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है. गुजरात में 582 परसेंट, गोवा में 213 परसेंट, मध्य प्रदेश में 161 परसेंट, महाराष्ट्र में 110 परसेंट, छत्तीसगढ़ में 124 परसेंट और ओडिशा में 116 परसेंट अधिक बारिश हुई है.
अभी हाल में मौसम विभाग ने बताया कि इस बार मॉनसून की बारिश सामान्य से अधिक होगी. मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि जुलाई में ला-नीना एक्टिव होगा जिससे देश में इस बार बंपर बारिश दर्ज की जाएगी. अप्रैल में अल-नीनो भी विदा हो गया है.
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