देश के 150 प्रमुख बांधों में पानी का स्तर 179 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) का 73 परसेंट बचा है. सेंट्रल वॉटर कमीशन यानी कि CWC ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में कहा है कि देश के बांधों में अभी 73 परसेंट पानी बचा है. देश के बांधों में पानी की कुल क्षमता 179 बीसीएम है जिसमें 73 परसेंट पानी ही बचा है. पिछले हफ्ते पानी का स्तर 74 परसेंट था. पिछले एक हफ्ते मे बांधों में पानी का स्तर एक परसेंट घट गया है. इस बार बारिश कम होने से बांधों में पानी का स्तर घट रहा है. शुरू में कई राज्यों में मॉनसून की बारिश कम हुई जिससे पानी का स्तर घट गया. हालांकि बाद में बारिश होने से बांधों के जलस्तर में कुछ सुधार हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले अभी बांधों में 19 परसेंट कम पानी है. पिछले 10 साल का रिकॉर्ड देखें तो बांधों में पानी का स्तर आठ परसेंट कम है. सेंट्रल वाटर कमीशन ने बताया है कि अभी बांधों में 129 बीसीएम ही पानी बचा हुआ है. पिछले हफ्ते पानी का स्तर 132 बीसीएम था. इस तरह बांधों में पानी की लगातार कमी देखी जा रही है. मौजूदा हालात के बारे में कहा जा रहा है कि इस सीजन में या तो कम बारिश हुई या बारिश न के बराबर हुई. इस वजह से देश के बांधों और नदियों में पानी कम हुआ है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया है कि देश के कई जिलों में सूखे की समस्या है. देश के 713 जिलों में आठ परसेंट जिले ऐसे हैं जहां इस महीने की शुरुआत से बिल्कुल बारिश नहीं हुई. इन जिलों में 34 फीसद में बहुत ही कम बारिश दर्ज की गई है. 12 परसेंट जिलों में ही सामान्य बारिश दर्ज की गई है. 18 परसेंट जिलों में कम बारिश हुई है. सेंट्रल वाटर कमीशन ने कहा है कि 106 बांधों में सामान्य स्तर का 80 परसेंट तक पानी भरा हुआ है. 44 बांध ऐसे हैं जिनमें 80 परसेंट या उससे कम पानी है.
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सेंट्रल वाटर कमिशन की रिपोर्ट कहती है कि 44 बांधों में से 13 ऐसे हैं जिनमें सामान्य स्तर का 50 परसेंट पानी भरा हुआ है. चूंकि रबी सीजन शुरू हो गया है और फसल बुवाई के लिए पानी की अधिक जरूरत पड़ेगी, इसलिए बांधों में कम पानी खेती के लिहाज से चिंता का कारण बना हुआ है. देश के कई इलाके ऐसे हैं जहां नदी या बांधों के पानी से ही फसलों की सिंचाई होती है. अगर पानी की मात्रा कम रही तो सिंचाई प्रभावित हो सकता है.
इसमें एक चिंता ये भी है कि उत्तर पूर्वी मॉनसून के आने में अभी और देरी होगी. अभी इसमें एक हफ्ते की देरी बताई जा रही है. अरब सागर में एक लो प्रेशर एरिया बना हुआ है और बंगाल की खाड़ी में भी यही स्थिति है. इससे उत्तर पूर्वी मॉनसून थोड़ा धीमा पड़ गया है और इसके आने में भी देरी देखी जा रही है. चक्रवात के असर से इस मॉनसून में कम बारिश होने की भी आशंका जताई जा रही है. दूसरी ओर, देश से दक्षिण पश्चिम मॉनसून की विदाई हो चुकी है. इस बार बारिश सामान्य से कम हुई है.
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