पंजाब अभी विनाशकारी बाढ़ से अच्छे से उबरा भी नहीं पाया है कि फिर एक बार भारी बारिश का खतरा मंडराने लगा है. दरअसल, राज्य में अगले तीन दिनों में भारी बारिश की आशंका को देखते हुए अधिकारियों ने भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों में जलस्तर कम कर दिया है, जबकि रविवार को फिरोजपुर और फरीदकोट जिलों में कई जगहों पर बारिश से धान की फसल बर्बाद हो गई है. वहीं, इस तीन दिन के बारिश को देखते हुए फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 6 से 8 अक्टूबर के बीच हिमाचल प्रदेश और पंजाब में कई जगहों पर भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे ब्यास और रावी नदियों के किनारे बाढ़ प्रभावित किसानों में बेचैनी बढ़ गई है. वहीं, रविवार को फिरोजपुर और फरीदकोट समेत नौ जिलों में बारिश हुई, जहां क्रमशः 48 मिमी और 27.6 मिमी बारिश दर्ज की गई. भारी बारिश के कारण राज्य में खेत में खड़ी फसल के अलावा मंडियों में रखे अनाज भी बर्बाद हो रहे हैं. क्योंकि कई अनाज मंडियों जलभराव देखा गया है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भाखड़ा बांध से सतलुज नदी में पानी की रिहाई पिछले दो दिनों से 43,000 क्यूसेक पर बनी हुई है.ब्यास नदी पर बने पौंग बांध से 49,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. रावी नदी पर बने रंजीत सागर बांध से 39,686 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. भाखड़ा नदी में जलस्तर खतरे के निशान 1,680 फीट से लगभग नौ फीट नीचे था, जबकि पौंग नदी में यह खतरे के निशान से तीन फीट से अधिक नीचे था. ऐसे में राज्य सरकार हाई अलर्ट पर है और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है.
अजनाला के विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में बारिश शुरू हो गई है और रावी नदी के किनारे रहने वाले लोगों ने अपना अधिकांश सामान छतों पर पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि हाल ही में आई बाढ़ के दौरान, रावी नदी के तटबंधों में बड़ी दरारें पड़ गई थीं. चूंकि इनमें से कई दरारों को अभी तक नहीं भरा गया है, इसलिए चिंता है कि नदी का पानी फिर से खेतों और गांवों में घुस सकता है. सूत्रों के अनुसार, हाल ही में आई बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक अजनाला के निवासियों ने 23 दरारें देखीं, जिनमें से अब तक केवल सात की ही मरम्मत हुई है.
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