
भारत में इस समय अलग-अलग मौसमी स्थितियां देखने को मिल रही हैं. कहीं तेज गर्मी और लू तो कहीं बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है. बीते दिन बुधवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, मध्य प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु में अलग-अलग जगहों पर तेज हवाएं चलीं और तमिलनाडु में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश हुई. वहीं, मध्य महाराष्ट्र में कई जगहों पर ओलावृष्टि हुई तो सौराष्ट्र और कच्छ में अलग-अलग जगहों पर लू की स्थिति बनी रही. अगले कुछ दिन तक भी अलग-अलग जगहों पर मौसम की ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है. पढ़िए वेदर रिपोर्ट…
आईएमडी के मुताबिक, अगले 2 दिनों के दौरान मध्य और आसपास के उत्तरी प्रायद्वीपीय भारत में मध्यम से तेज गरज के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है और 6 अप्रैल तक दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में गरज के साथ बारिश, बिजली और ओलावृष्टि के साथ-साथ भारी बारिश की संभावना है. वहीं, अगले 7 दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान में 3-5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है. अगले 7 दिनों के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ के अलग-अलग इलाकों में लू की स्थिति बनी रहने की संभावना है. 5-8 अप्रैल के दौरान पश्चिमी राजस्थान, 6-8 अप्रैल के दौरान गुजरात और 7-8 अप्रैल के दौरान पूर्वी राजस्थान में लू चल सकती है.
मौसम विभाग के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में आज से लेकर अगले तीन तक दिन में तेज सतही हवाएं चलने का अनुमान है. आज यहां न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. अगले दो दिन भी अधिकतम तापमान इतना ही रहने का पूर्वानुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी संभव है. बीते दिन यहां न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 36.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. अब धीरे-धीरे तापमान और गर्मी में बढ़ाेतरी हो रही है. 7-8 अप्रैल तक यहां न्यूनतम तापमान 20 डिग्री के पार चला जाएगा, जबकि अधिकतम तापमान 40 डिग्री और इसके पार जाने की संभावना है, जो हीटवेव (लू) की स्थिति को दर्शाता है.
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल पर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है और इस चक्रवाती परिसंचरण से निचले क्षोभमंडलीय स्तरों में दक्षिण-पूर्व मध्य प्रदेश तक एक द्रोणिका बनी हुई है. साथ ही निचले क्षोभमंडलीय स्तरों में दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश पर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है और निचले क्षोभमंडलीय स्तरों में लक्षद्वीप से कोंकण तक पूर्वी दिशा में एक ऊपरी हवा की द्रोणिका बनी हुई है. इन प्रणालियों के प्रभाव और निचले क्षोभमंडलीय स्तरों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं के मिलने से अलग-अलग राज्यों में आंधी, बारिश और ओलावृष्टि की स्थिति बन रही है.
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