भारत में इस साल सामान्य रह सकता है मॉनसून, कमजोर ला नीना से बारिश में मिलेगा फायदा!

भारत में इस साल सामान्य रह सकता है मॉनसून, कमजोर ला नीना से बारिश में मिलेगा फायदा!

ला नीना अभी जिस स्थिति में है, उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. यानी अभी ला नीना कमजोर है तो उसके कमजोर रहने की पूरी संभावना नजर आ रही है. ऐसा भी कहा गया है कि इसी साल यह मौजूदा स्थिति न्यूट्रल हो जाएगी. न्यूट्रल होने का मतलब है कि न ला नीना रहेगा और न ही अल नीनो की स्थिति रहेगी. अगर ला नीना रहता भी है तो उसकी हालत कमजोर रहेगी. लिहाजा भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून अपनी सामान्य स्थिति में रह सकता है.

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भारत में इस साल सामान्य रह सकता है मॉनसून, कमजोर ला नीना से बारिश में मिलेगा फायदा!भारत में इस साल सामान्य रह सकता है मॉनसून

भारत में बारिश को लेकर एक अच्छी खबर है. कई विदेशी मौसम एजेंसियों ने इस बात की तस्दीक की है कि इस बार ला नीना कमजोर रहेगा. ला नीना एक्टिव है, लेकिन इसकी तीव्रता बेहद कमजोर है. साथ ही यह बहुत कम दिनों के लिए रहेगा. ऐसे में भारत में इस बार मॉनसून सामान्य रहने की पूरी संभावना है. यहां सामान्य मॉनसून का मतलब है सामान्य तारीख पर केरल के तट पर इसका टकराना और पूरे देश में सामान्य बारिश का होना.

बीते कुछ वर्षों में मॉनसून की चाल असामान्य देखी गई है. कहीं अधिक बारिश तो कहीं कम. कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ जैसे हालात. मगर इस बार मॉनसून की सामान्य स्थिति रह सकती है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD मार्च महीने में साल 2025 के मॉनसून का अनुमान जारी करेगा. उससे पहले कुछ विदेशी मौसम एजेंसियों ने ला नीना के बारे में जानकारी दी है जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भारत में मॉनसून सामान्य रहेगा.

दक्षिण कोरिया और जापान की एजेंसियों ने ला नीना को लेकर मौसम संबंधी जानकारी दी है. दक्षिण कोरिया की एजेंसी ने अपने 'ला नीना वॉच' में कहा है कि मौजूदा स्थिति में किसी तरह के अपग्रेडेशन की उम्मीद नहीं है.

कमजोर ला नीना का फायदा

इससे साफ है कि ला नीना अभी जिस स्थिति में है, उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. यानी अभी ला नीना कमजोर है तो उसके कमजोर रहने की पूरी संभावना नजर आ रही है. ऐसा भी कहा गया है कि इसी साल यह मौजूदा स्थिति न्यूट्रल हो जाएगी. न्यूट्रल होने का मतलब है कि न ला नीना रहेगा और न ही अल नीनो की स्थिति रहेगी. अगर ला नीना रहता भी है तो उसकी हालत कमजोर रहेगी. लिहाजा भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून अपनी सामान्य स्थिति में रह सकता है.

भारत के संदर्भ में कहा गया है कि ला नीना अप्रैल-मई-जून और मई-जून-जुलाई में न्यूट्रल स्थिति में रहेगा. भारत में यही अवधि है जिस वक्त प्री-मॉनसून की स्थितियां बनती हैं और उसी के कुछ दिनों बाद केरल के तट पर दक्षिण पश्चिम मॉनसून आता है. इसे लेकर तापमान के कुछ-कुछ संकेत पहले से ही मिलने लगे हैं.

वसंत ऋतु शुरू होने के साथ ही देश के कुछ राज्यों में फरवरी महीने से ही तापमान बढ़ने लगा है. इन राज्यों में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश शामिल हैं. फरवरी का महीना गर्म रहने वाला है जिसे लेकर मौसम विभाग ने पहले ही बता दिया है.

क्या कहता है मौसम पूर्वानुमान?

मौसम पूर्वानुमान में बताया गया है कि फरवरी-मार्च-अप्रैल में उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली में सामान्य से कम बारिश रहेगी. हालांकि कई हिस्सों में सामान्य बारिश की संभावना है जिनमें पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्वी भारत के इलाके शामिल हैं.

केरल, तटीय कर्नाटक और तमिलनाडु में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है. ब्रिटेन के मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में बताया है कि दक्षिण राज्यों के कुछ हिस्सों जैसे केरल और तमिलनाडु को छोड़ दें तो भारत में बारिश सामान्य से थोड़ा अधिक रहेगी. इन दो राज्यों में सामान्य बारिश की संभावना है.

 

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