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La Nina: न कड़ाके की सर्दी पड़ेगी न तेज होगी बारिश, मौसम में ठहराव लाएगा निगेटिव IOD

La Nina: न कड़ाके की सर्दी पड़ेगी न तेज होगी बारिश, मौसम में ठहराव लाएगा निगेटिव IOD

नवंबर अंत में सक्रिय होने वाला निगेटिव आईओडी दिसंबर तक चलेगा. इस वजह से इन दो महीनों में कम बारिश होने की संभावना है. निगेटिव आईओडी और ला नीना के सक्रिय नहीं होने का असर कम बारिश के रूप में देखा जाता है. बीओएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के पश्चिमी हिस्से में बारिश कम होगी और बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवाती सर्कुलेशन के कमजोर होने की आशंका है.

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निगेटिव आईओडी का दिखेगा प्रभाव निगेटिव आईओडी का दिखेगा प्रभाव

भारत में फरवरी महीने तक ला नीना के एक्टिव होने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है. दूसरी ओर नवंबर अंत तक इंडियन ओशन डाइपोल यानी कि IOD निगेटिव हो सकता है जिससे बारिश पर असर देखा जाएगा. ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग ने यह जानकारी दी है. ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी (BoM) ने बताया है कि निगेटिव आईओडी का असर भारत में कम बारिश के रूप में देखा जा सकता है. कम बारिश की संभावना देश के पश्चिमी हिस्सों में बनने वाली है. साथ ही बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती सर्कुलेशन का असर भी कम होगा.

बीएएम ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हाल के दिनों में ला नीना के एक्टिव होने की संभावना जताई गई थी, लेकिन अभी इसके नरम रहने के ही संकेत हैं. रिपोर्ट कहती है कि मौसमी परिस्थितियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि ला नीना अभी एक्टिव होने की स्थिति में नहीं है. हालांकि निगेटिव आईओडी के सक्रिय होने के पूरे संकेत हैं जिससे नवंबर के बाद कुछ दिनों तक कम बारिश की संभावना रहेगी.

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निगेटिव IOD का असर

नवंबर अंत में सक्रिय होने वाला निगेटिव आईओडी दिसंबर तक चलेगा. इस वजह से इन दो महीनों में कम बारिश होने की संभावना है. निगेटिव आईओडी और ला नीना के सक्रिय नहीं होने का असर कम बारिश के रूप में देखा जाता है. बीओएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के पश्चिमी हिस्से में बारिश कम होगी और बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवाती सर्कुलेशन के कमजोर होने की आशंका है. चक्रवाती सर्कुलेशन कम होने से भी बारिश की गतिविधियां धीमी पड़ती हैं.

ला नीना के एक्टिव नहीं होने का असर कम बारिश के अलावा कम ठंड के रूप में भी देखा जाएगा. एक्सपर्ट बताते हैं कि उत्तर भारत में कम ठंड के पीछे ला नीना के एक्टिव नहीं होना भी कारण है. ला नीना सामान्य तौर पर अक्टूबर से फरवरी की अवधि में सक्रिय होता है. इससे ठंड का प्रकोप अधिक देखा जाता है और बारिश भी बहुत होती है. इसका बुरा नतीजा खेती-बाड़ी पर देखा जाता है. लेकिन इस बार फरवरी अंत तक ला नीना के एक्टिव होने की संभावना नहीं है. लिहाजा अधिक ठंड और अधिक बारिश की गुंजाइश नहीं बन रही है. 

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सर्दी का अता-पता नहीं

देश के उत्तरी इलाकों में इस बार ठंड शुरू नहीं हुई है. आधा नवंबर बीतने के बाद भी सर्दी का कोई अता-पता नहीं है. बर्फबारी की भी खबरें नहीं हैं. कश्मीर के ऊपरी इलाकों में हल्की बर्फबारी हुई है, लेकिन बाकी के पहाड़ी इलाके अभी तक सूखा झेल रहे हैं. मौसम विभाग ने बताया है कि हिमालयी क्षेत्र में एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने वाला है जिससे मौसम में बदलाव हो सकते हैं. इन इलाकों में बर्फबारी हो सकती है. लेकिन अभी तक सर्दी नहीं आने के पीछे ला नीना को बड़ी वजह मान सकते हैं.