आखिरकार मंगलवार को किसानों का इंतजार खत्म हो गया. कई विदेशी मौसम एजेंसियों के साल 2025 के मॉनसून को लेकर जारी पूर्वानुमान के बाद आज भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी ने भी मॉनसून 2025 का पूर्वानुमान जारी कर दिया है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को कहा कि इस मॉनसून में भारत में सामान्य से अधिक संचयी वर्षा होगी और पूरे मौसम के दौरान अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में चार महीने के मॉनसून मौसम (जून से सितंबर) में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है और संचयी बारिश दीर्घावधि औसत 87 सेमी का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मॉनसून वर्षा से जुड़ी अल नीनो की स्थिति इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है. देश के कुछ हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं और अप्रैल से जून की अवधि में काफी अधिक दिनों तक लू चलने की संभावना है.
इससे बिजली ग्रिड पर दबाव पड़ सकता है और पानी की कमी हो सकती है. मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका का समर्थन करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है.
शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत प्राइमरी रेन-इम्पैक्ट सिस्टम पर निर्भर करता है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसलिए, मॉनसून के मौसम के दौरान सामान्य बारिश की भविष्यवाणी देश के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आती है.
हालांकि, सामान्य संचयी वर्षा पूरे देश में वर्षा के समान अस्थायी और स्थानिक वितरण की गारंटी नहीं देती है, जलवायु परिवर्तन के साथ वर्षा-असर प्रणाली की परिवर्तनशीलता और बढ़ जाती है. जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं (थोड़े समय में अधिक बारिश) बढ़ रही हैं, जिससे लगातार सूखे की स्थिति और बाढ़ आ रही हैं.
आईएमडी के मॉनसून 2025 को लेकर जारी किए गए पूर्वानुमान के मुताबिक, साल 2023 के बाद यह लगातार दूसरा साल है, जब सामान्य से ज्यादा बारिश होगी. 2023 के मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश हुई थी. लेकिन 2024 में सामान्य से ज्यादा झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे चमक उठे.
अच्छी बारिश के चलते पिछले मॉनसून सीजन में खरीफ की फसलों की बंपर बुवाई और उत्पादन हुआ. साथ ही जलाशयों में जलस्तर बढ़ने और मिट्टी में लंबे समय तक नमी रहने के कारण रबी सीजन में भी इसका लाभ मिला और किसानों ने गेहूं की रिकॉर्ड बुवाई की और उत्पादन में भी उछाल की उम्मीद है.
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