देश में इस साल भरपूर मॉनसून के बाद अब अक्टूबर में भी सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई गई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को कहा कि अक्टूबर महीने में औसत से 15 प्रतिशत ज्यादा वर्षा होने की उम्मीद है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अक्टूबर में देश के पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है. वहीं देश के अन्य इलाकों में सामान्य से कम या सामान्य तापमान दर्ज हो सकता है. मौसम विभाग का यह पूर्वानुमान खेती के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है.
मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अक्टूबर से दिसंबर के पोस्ट-मॉनसून सीजन में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होगी. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में बारिश सामान्य से कम या सामान्य स्तर की रहने की संभावना है. आईएमडी के मुताबिक, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के पांच प्रमुख मौसमीय उपखंड- तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में इस बार उत्तर-पूर्व मॉनसून के दौरान (अक्टूबर से दिसंबर) सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है.
लंबी अवधि के औसत (1971-2020) के आधार पर दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में अक्टूबर से दिसंबर के दौरान औसतन 334.13 मिमी बारिश होती है. अनुमान है कि इस बार यह आंकड़ा 112 प्रतिशत से अधिक रहेगा. अक्टूबर महीने में पूरे देश में औसत से अधिक यानी 115 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हो सकती है.
इसका मुख्य कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कम दबाव के क्षेत्र का विकसित होना, मौसम की आंतरिक गतिविधियां और बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय प्रक्रियाएं बताई जा रही हैं. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में अक्टूबर में सामान्य से कम या सामान्य बारिश दर्ज की जा सकती है.
अगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही साबित होती है तो ज्यादा बारिश वाले इलाकों में रबी सीजन के तहत होने वाली कई प्रमुख फसलों की बुवाई पर बुरा असर पड़ सकता है. वहीं, बारिश कम या मध्यम हुई तो किसानों को थोड़ी राहत रहेगी. मालूम हो कि देश में ज्यादातर किसान रबी सीजन में ज्यादातर किसान गेहूं, चना और सरसों की खेती करते हैं.
इसके अलावा रबी मक्का, कुछ अन्य तिलहन फसलों और सब्जियों की खेती होती है. अगर ज्यादा बारिश हुई तो इनमें से कई फसलों की बुवाई में देरी होने की आंशका बन सकती है, जिससे बुवाई पिछड़ने पर रकबे पर असर भी पड़ सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today