

देश के विभिन्न राज्यों में मौसम ने अचानक से करवट ली है. वहीं बिहार के कई जिलों में पिछले दो दिनों के दौरान बादल गरजने, आकाशीय बिजली और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही मौसम विभाग द्वारा जारी अनुमान के मुताबिक, करीब 26 जिलों के विभिन्न इलाकों में 21 मार्च तक मौसम में हलचल जारी रह सकती है. इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दिया है कि आने वाले चार से पांच दिनों तक गरमा सब्जी की खेती, उड़द, मूंग और ओल की खेती नहीं करें. साथ ही अच्छी बारिश की संभावना को देखते हुए फसल सिंचाई नहीं करने का सुझाव भी दिया गया है. बीते दिनों आकाशीय बिजली और ओलावृष्टि होने से शिवहर, गया, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी सहित अन्य जिलों में फसलों के नुकसान होने से किसान काफी दुखी हैं. उनका कहना है कि फरवरी महीने में अधिक तापमान ने फसल पर असर डाला था. अब मार्च महीने में फसल तैयार होने के करीब पहुंचा तो बेमौसम हुई बारिश ने पूरी फसल को चौपट कर दिया है.
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के विभिन्न जिलों में ओलावृष्टि से हुई फसल और घरों की क्षति का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. वहीं कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो गया है.
मौसम विभाग के अनुसार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण आने वाले 21 मार्च तक आसमान में बादल से घिरे रहेंगे. वहीं उत्तर बिहार के लगभग सभी जिलों में 4 से 5 दिनों तक हल्की वर्षा होने की संभावना है. साथ ही दक्षिण बिहार के कई जिलों में बारिश हो सकती है. 19 मार्च से 20 मार्च के बीच में 20 से 30 मि.मी वर्षा हो सकती है. साथ ही इस दौरान हवा की रफ़्तार 40 से 50 किलोमीटर तक रह सकती है. वहीं अधिकतम तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है. मौसम के बदलते मिजाज के अनुसार पटना जिला में बारिश होने के अनुमान है.
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राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों सलाह दिया है कि अगले 4 से 5 दिनों तक बारिश होने की संभावना है. इस बीच में किसान गरमा फसल की बुवाई या तैयार फसल की कटाई नहीं करें. अगर कोई किसान गरमा सब्जी की खेती अभी तक नहीं किया है तो वह इस बीच खेती न करें. वर्षा खत्म होने के अविलंब सब्जी की बुवाई व रोपाई कर सकते हैं. साथ ही गरमा फसल में उड़द, मूंग और ओल की खेती को रोक दें.
बीते दो दिनों से हो रही बेमौसम बारिश ने करीब कई एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है. जिसका असर किसानों के मायूस और निराश चेहरों से स्पष्ट देखी जा सकती है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य के विभिन्न जिलों में ओलावृष्टि से हुई फसल और घरों की क्षति का सर्वेक्षण व आकलन करके जल्द राहत दी जाएगी. आपदा प्रबंधन विभाग एवं कृषि विभाग द्वारा ओलावृष्टि से हुई गृह क्षति एवं फसल क्षति का सर्वेक्षण किया जा रहा है.
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सर्वेक्षण के उपरांत सभी प्रभावित आपदा पीड़ितों को अविलंब अनुमान्य राहत दी जाएगी. इसको लेकर कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है. हिमालय क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ उत्पन्न होने के बाद मौसम के मिजाज में अचानक तब्दीली होने से बीते दिनों मोतिहारी, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से किसानों की कई एकड़ गेहूं और मक्के की खड़ी फसल बर्बाद हो गई. साथ ही आम, लीची, पपीता की फसल भी बर्बाद हो गई.
(2/2) आपदा प्रबंधन विभाग एवं कृषि विभाग द्वारा ओलावृष्टि से हुई गृह क्षति एवं फसल क्षति का सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वेक्षण के उपरांत सभी प्रभावित आपदा पीड़ितों को अविलंब अनुमान्य राहत दी जाएगी।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) March 17, 2023
शिवहर जिले के तरियानी प्रखंड के छतौनी गांव के किसान बिनोद कुमार ने किसान तक को बताया कि केवल उनके गांव में ओलावृष्टि होने से 50 एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है. वहीं दोस्तों से 25 हजार रुपए कर्ज लेकर तीन बीघा में गेहूं, राजमा की खेती किया था. लेकिन शुक्रवार की सुबह कुदरत की ऐसी कहर बरपा की पूरी फसल बर्बाद हो गई. इसी गांव के रहने वाले रविकांत 4 बीघा में बर्बाद हो चुकी गेहूं और मक्का की फसल देखते हुए कहते हैं कि धान की फसल में जो कमाई हुई थी. वह सारा रकम गेहूं और मक्का की खेती में लगा दिया था. अब चिंता है कि आगे का समय कैसे बीतेगा. अब सरकार का ही सहारा है. अगर कुछ मुआवजा देती है तो कल्याण हो जाएगा.
वहीं गुरुवार को गया जिले में देर शाम तेज हवाओं के साथ बारिश हुई. इस बारिश में कुजापी गांव के रहने वाले अजीत रौशन की तीन एकड़ में लगी गेहूं की पूरी फसल बर्बाद हो गई. वहीं इनके बगीचे में लगे आम के पेड़ से करीब 60 प्रतिशत मंजरियां गिर चुकी हैं. यह कहते हैं कि पिछले साल केवल आम से 70 हजार रुपए तक की कमाई किया था. लेकिन इस साल 20 हजार रुपए तक भी कमाई हो जाए तो बहुत बड़ी बात है. वहीं केवल इनके गांव में ढाई सौ एकड़ के आसपास गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. आम के पेड़ों से मंजरियां गिर चुकी हैं.
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