पश्चिमी विक्षोभ के कारण 21-23 फरवरी के दौरान आसमान में घने बादल छाये रहने और बिहार के कई जिलों में एक-दो स्थानों पर हल्की बारिश की संभावना है. उसके बाद 24-25 फरवरी के दौरान आंशिक रूप से बादल छाए रहने और मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई गई है. न्यूनतम तापमान 12-15 डिग्री सेंटीग्रेड और अधिकतम तापमान 26-28 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहने की उम्मीद है. सुबह और शाम में सापेक्षिक आर्द्रता (relative humidity) क्रमशः 90-95% और 30-35% के बीच रहने की संभावना है. पूर्वानुमानित अवधि में 21-24 फरवरी के दौरान पुरवाई हवा चलने की संभावना है और 25 फरवरी को 5-6 किमी/घंटा की गति से पश्चिमी हवा चलने की संभावना है.
पूर्वानुमानित अवधि में हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए खड़ी फसलों की सिंचाई स्थगित कर दें. मौसम साफ होने पर ही कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव करें. अगले 2-3 दिनों में हल्की बारिश को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आलू के कंदों और कटी हुई गन्ने की फसल के भंडारण की उचित व्यवस्था करें.
बारिश की संभावनाओं को देखते हुए गन्ने की कटाई स्थगित कर देनी चाहिए. पेड़ी गन्ने की फसल की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए तथा नाइट्रोजन उर्वरक की दूसरी खुराक (40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) आसमान साफ होने पर ही देनी चाहिए.
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प्रति लीटर पानी में प्रोफेनोफॉस 50 ईसी या इम्डिकलोप्रिड 1.0 मि.ली. 4 लीटर पानी. उच्च परिणामों के लिए टीपोल 1.0 मिलीलीटर जैसे चिपकने वाले पदार्थ का उपयोग करें. आसमान साफ होने पर घोल में 1 लीटर पानी मिलाएं और छिड़काव करें.
मटर में फली छेदक कीट की निगरानी करें. इस कीट का प्यूपा फलियों में जाल जैसा आवरण बनाकर उसके नीचे की फलियों में घुस जाता है और अंदर से मटर के दानों को खाता रहता है. एक प्यूपा एक से अधिक फलियों को नष्ट कर देता है. संक्रमित फलियाँ बर्बाद हो जाती हैं. जिसके परिणामस्वरूप उपज में भारी कमी आती है. कीट प्रबंधन के लिए प्रकाश जाल का प्रयोग करें. अधिक क्षति होने पर क्विनालफॉस 25 ईसी या नोवालुरान 10 ईसी 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर आसमान साफ होने पर छिड़काव करें.
सब्जियों में निराई-गुड़ाई करने और सिंचाई स्थगित करने की सलाह दी जाती है. गर्मी के महीने की सब्जियों की बुआई के लिए खेत तैयार करें. 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद पूरे खेत में अच्छी तरह फैलाकर मिला दें. कजरा (कटुआ) खरपतवार से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए आसमान साफ होने पर खेत की जुताई करते समय क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलोग्राम रेत में मिलाकर डालें.
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