राजस्थान में भले ही सियासी तापमान काफी बढ़ा हुआ हो, लेकिन प्रदेश के किसानों के लिए एक खुशखबरी है. शनिवार यानी 25 नवंबर को प्रदेश के जोधपुर और उदयपुर संभाग के कई जिलों में हल्की बारिश हो सकती है. इससे रबी किसानों को फायदा होगा. मौसम केन्द्र, जयपुर के अनुसार एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है. इससे दक्षिणी राजस्थान के जोधपुर और उदयपुर संभाग में कहीं-कहीं बादल गरजेंगे और हल्की बारिश होगी. इसके अलावा 26 नवंबर को अरब सागर की खाड़ी से हवाओं के साथ उपयुक्त नमी सप्लाई होने से इस तंत्र का सर्वाधिक असर 26 नवंबर को होने की संभावना है. इसके प्रभाव से जोधपुर, उदयपुर, अजमेर व कोटा जयपुर संभाग के कुछ भागों में मेघगर्जन के साथ बारिश होने की पूरी संभावना है. साथ ही कुछ स्थानों पर ओले भी गिर सकते हैं. अगर ओले गिरते हैं तो इससे किसानों को नुकसान होगा. वहीं, इस दौरान उदयपुर संभाग में कहीं-कहीं मध्यम से तेज बारिश होने की संभावना है.
मौसम केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार मेघगर्जन के साथ बारिश की गतिविधियां 27 नवंबर को कोटा, जयपुर व भरतपुर संभाग के कुछ भागों में जारी रहने की संभावना है. वहीं, 28 नवंबर से तंत्र का असर धीरे-धीरे कमजोर होगा. इससे मौसम शुष्क रहेगा और न्यूनतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होने की संभावना है.
जयपुर मौसम केन्द्र, भारत मौसम विज्ञान सोसाइटी और बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की संयुक्त पहल से मौसम एवं जलवायु पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी रखी गई. इसमें मुख्य प्रिलिमनरी सत्र में डॉक्टर एम. राजीवन, पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने “डिकेडल मानसून वरीयबिलिटी’ विषय पर व्याख्यान दिया. व्याख्यान के दौरान ग्लोबल वार्मिंग से मानसून के बदलते हुए ट्रेंड, बाढ़-सूखा, अत्यधिक भारी बारिश के बारे में चर्चा की गई.
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वहीं, दूसरा विशेष व्याख्यान डॉक्टर आर. कृष्णन, निदेशक, भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM, पुणे) ने दिया. उन्होंने “वाटर साइकिल चेंज इन ए ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट” विषय पर बोला. व्याख्यान में ग्लोबल वार्मिंग के मध्य नजर होने वाले मौसमी परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया.
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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से राजस्थान व आसपास के शुष्क क्षेत्र में बारिश की गतिविधियों बढ़ोतरी, भारी बारिश, आपदा जनित मौसमीय घटनाओं की गतिविधियों में बढ़ोतरी होने तथा देश के पूर्वी भागों में बारिश में सामनी से कमी दर्ज होने की संभावना व्यक्त की. साथ ही आगामी दशकों में बाढ़-सूखा, हीटवेव, कोल्डवेव आदि चरम घटनाओं में भी बढ़ोतरी की संभावना बताई.
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