महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले से परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां के नंदोरी गांव के लोग बाढ़ की मार झेल रहे हैं. गांव के बीच से गुजरने वाली शीर नदी उफान पर है और नदी पर पुल नहीं होने से इंदिरा नगर की 40 घरों की बस्ती पूरी तरह से गांव से कट गई है. हालात ऐसे हैं कि ग्रामीण कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर तेज बहाव वाली नदी को पार करने को मजबूर हैं. नंदोरी गांव से बहने वाली शीर नदी बारिश के दिनों में जब-जब उफान पर आती है, तब-तब यहां के लोगों की सांसें थम जाती हैं.
नदी पार बसी इंदिरा नगर की बस्ती गांव से कट जाती है और करीब 40 घरों की ये बस्ती टापू बनकर रह जाती है. न कोई इधर आ सकता है, न कोई उधर जा सकता है. न बच्चों की पढ़ाई हो पाती है, न बीमारों को अस्पताल ले जाया जा सकता है. किसान भी अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते. आजतक की टीम जब बाढ़ प्रभावित गांव में पहुंची तो गांववालों ने अपनी आपबीती बताई.
यहां एक ग्रामीण नागो वाटेकर ने बताया कि वह पिछले दो दिनों से अपने घर नहीं जा पा रहे हैं, उनकी पत्नी और बच्चे नदी के उस ओर हैं. नागो अब नदी का पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं गांव के पूर्व सरपंच भानुदास ढवस ने बताया कि उन्होंने कई बार नदी पर पुल बनाने की मांग की और कई नेताओं को पत्र लिखे, सरकारी कार्यालयों के चक्कर भी काटे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
गौर करने वाली बात ये है कि 2018 में यहां पुल बनाने का काम शुरू हुआ. 40 लाख रुपये भी खर्च हुए, लेकिन पुल का काम शुरू होते ही बंद हो गया. शीर नदी पर 2 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत पुल का काम केवल नीव तक ही बना और ठप हो गया. बताया गया कि यह बस्ती लगभग 35 साल पुरानी है और नंदोरी (बु.) ग्राम पंचायत का हिस्सा है.
"चांदा ते बांदा" योजना के अंतर्गत इस नदी पर 2 करोड़ रुपये की लागत से पुल का निर्माण मंजूर हुआ था, लेकिन अब तक केवल ग्राउंड लेवल तक ही काम हुआ और 2018 से यह कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है. इस अधूरे पुल के कारण बाढ़ के समय ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
लगभग 50% किसानों की जमीन इंदिरा नगर की दिशा में है, जहां पहुंचना असंभव हो जाता है, आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना नामुमकिन हो जाता है. छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होती है. (विकास राजूरकर की रिपोर्ट)
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