जून के महीने में झारखंड में हुई 60 फीसदी कम बारिश, पढ़ें किसानों के लिए क्या कह रहे हैं वैज्ञानिक

जून के महीने में झारखंड में हुई 60 फीसदी कम बारिश, पढ़ें किसानों के लिए क्या कह रहे हैं वैज्ञानिक

मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि झारखंड में जलवायु परिवर्तन का असर हुआ है. इसके कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव हुआ है. पिछले 10 सालों के मॉनसून को पैटर्न को देखे तो सिर्फ दो साल की मॉनसून 15 जून के आसपास झारखंड में प्रवेश किया है

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जून के महीने में झारखंड में हुई 60 फीसदी कम बारिश, पढ़ें किसानों के लिए क्या कह रहे हैं वैज्ञानिकझारखंड में अब तक 60 फीसदी कम हुई बारिश (सांकेतिक तस्वीर)

देश के कई राज्यों में मॉनसून की बारिश हो रही है और किसान खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में लग गए हैं. पर अभी भी झारखंड के किसान अच्छी बारिश के लिए तरस रहे हैं. आम तौर पर झारखंड में जून के दूसरे सप्ताह तक मॉनसून के प्रवेश करने का सही समय होता है. पर जून का आखिरी सप्ताह खत्म होने वाला है और अभी भी राज्य के सभी जिलों में बारिश की कमी है. मौसम विज्ञान केंद्र रांची की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार झारखंड में जून महीने में 60 फीसदी कम बारिश हुई है. इनमें सिर्फ चार ऐसे जिले हैं जिन्हें लाल श्रेणी में रखा गया है. इन जिलों में 20 से 60 फीसदी तक कम बारिश हुई है. 

मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि झारखंड में जलवायु परिवर्तन का असर हुआ है. इसके कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव हुआ है. पिछले 10 सालों के मॉनसून को पैटर्न को देखे तो सिर्फ दो साल की मॉनसून 15 जून के आसपास झारखंड में प्रवेश किया है, जबकि बाकी आठ सालों में यह जून के आखिरी सप्ताह में प्रवेश किया है. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में आमतौर पर मॉनसून जुलाई के महीने में तेजी पकड़ता है. इस बार की बारिश को लेकर उन्होंने कहा कि एक दो दिनों के अंदर झारखंड में मॉनसून सक्रिय हो जाएगा.उन्होंने कहा कि इस बार भी मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक शुरुआत में मॉनसून कमजोर रहेगा. उसके बाद जुलाई से यह तेजी पकड़ेगा और अक्तूबर तक बारिश होगी. 

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किसानों को बदलना होगा रोपाई का पैटर्न

बारिश में देरी होने के कारण किसान अभी तक खेत में नहीं उतरे हैं. जबकि कृषि वैज्ञानिकों कहना है कि जो किसान धान की सीधी बुवाई करते हैं उन्हें 30 जून से पहले धान की बुवाई कर देनी चाहिए. पर पिछले कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि 30 जन तक किसान खेत की तैयारी तक नहीं कर पाते हैं. अभिषेक आनंद ने कहा कि जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है डीएसआर विधि से धान की बुवाई कर सकते हैं. पर जिस तरीके से लगाता दो साल से मॉनसून की स्थिति रही है इस बार किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि किसानों को अब इसके मुताबिक धान रोपाई के पैटर्न में बदलाव करना होगा. 

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गढ़वा में हुई 91 फीसदी कम बारिश

झारखंड में अगर जिलावार कम बारिश के आंकड़े की बात करें तो जून महीने में सबसे कम बारिश गढ़वा जिले में हुई है. यहां पर 8.2 मिली बारिश हुई है. यहां पर मॉनसूनी बारिश सामान्य बारिश की तुलना में 91 फीसदी कम हुई है. पाकुड़ में सामान्य से 88 फीसदी कम बारिश हुई है, साहिबगंज में 84 फीसदी कम और कोडरमा में 81 फीसदी कम बारिश हुई है. वहीं पूर्वी सिंहभूम में 86 फीसदी, पलामू में 80 फीसदी, लातेहार में 78 फीसदी कम बारिश हुई है. पिछली बार गंभीर सूखे की चपेट में रहे चतरा और खूंटी में 60 फीसदी से कम बारिश हुई है. कम बारिश के कारण एक बार किसान चिंतित हो गए हैं. 

 

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