दक्षिण-पश्चिम मॉननसून ने बुधवार को उत्तरी अरब सागर और गुजरात राज्य के बाकी हिस्सों में भी दस्तक दे दी है. मॉनसून की इस चाल ने राजस्थान के कुछ क्षेत्रों और मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण हिस्सों में भी प्रवेश किया है. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद के अधिकांश क्षेत्र और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में मॉनसून का असर है.
मॉनसून की नॉर्दन लिमिट यानी उत्तरी सीमा इस समय बाड़मेर, जयपुर, आगरा, बांदा, सिद्धि, चाईबासा, हल्दिया, पाकुर, पटना, महाराजगंज, देहरादून, ऊना, पठानकोट और जम्मू से होकर गुजर रही है. मौसम संबंधी स्थितियाँ दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए राजस्थान के अतिरिक्त भागों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के शेष क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए अनुकूल हैं.
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उत्तर प्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब के कुछ और हिस्सों में भी इसके आगे बढ़ने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि अगले 2-3 दिनों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के बाकी हिस्सों को भी मॉनसून कवर कर लेगा. मॉनसून की यह चाल भीषण गर्मी और पानी की कमी से त्रस्त क्षेत्रों के लिए राहत की सांस लेकर आई है. मॉनसून का समय पर आना किसानों के लिए महत्वपूर्ण है. साथ ही इससे भूजल स्तर भी बढ़ेगा. वहीं यह अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण कृषि गतिविधियों को भी आगे बढ़ाने में मददगार है.
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मानसून इस बड़े स्तर पर आगे बढ़ना उत्तर भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यह धान, कपास और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों के लिए जरूरी बारिश को लेकर आता है. साथ ही यह लंबे समय तक चलने वाली गर्मी से राहत की उम्मीद भी जगाता है. इससे लोगों और पर्यावरण दोनों को राहत मिलती है.
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