बिहार में सर्दी का असर शुरू हो गया हैदेश के अलग-अलग राज्यों में नवंबर के महीने में मौसम ने करवट ले ली है. सुबह–शाम की ठिठुरन बढ़ने लगी है और ठंड धीरे-धीरे अपने पैर पसारने लगी है. बिहार में भी लोग ठंड का असर महसूस करने लगे हैं. धान की कटाई के साथ ही रबी सीजन की गेहूं की बुवाई भी शुरू हो चुकी है. मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर के अनुसार आने वाले एक सप्ताह के दौरान राज्य में मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान है. वहीं, 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में होने वाले नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दिन मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है.
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार हाल के दिनों में राज्य का मौसम रबी सीजन की खेती के लिए काफी अनुकूल है. नवंबर में बारिश होने के कोई आसार नहीं दिख रहें हैं. अगले तीन से चार दिनों के दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान में किसी विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है, जबकि आने वाले 48 घंटों में न्यूनतम तापमान में 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी हो सकती है.
विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया है. इस दिन मौसम में क्या बदलाव देखने को मिल सकता है, इसे लेकर मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के वैज्ञानिक आनंद शंकर बताते हैं कि पूरे बिहार में मौसम शुष्क रहेगा. न्यूनतम तापमान 10 से 14 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 24 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है. सुबह के समय हल्की धुंध या कुहासा रह सकता है, जिससे विजिबिलिटी लगभग एक किलोमीटर के आसपास रहने का अनुमान है. कुल मिलाकर, 20 नवंबर को पटना समेत पूरे बिहार का मौसम सामान्य रहेगा.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान मौसम को देखते हुए किसान रबी फसलों में गेहूं और चना की बुवाई और आलू की रोपाई कर सकते हैं. किसानों को सलाह दी गई है कि जो किसान 20 से 25 दिन पहले मक्का, मटर, मसूर और राजमा की खेती कर चुके हैं, वे अपनी फसलों की विशेष निगरानी करते रहें, क्योंकि इस दौरान कजरा (कटुआ) पिल्लू का खतरा बढ़ जाता है.
यह कीट रात में सक्रिय होकर छोटे-छोटे पौधों की पत्तियां और कोमल शाखाएं काट देता है, जिससे पौधा सूख जाता है. दिन में ये पिल्लू प्रायः जमीन की दरारों में छिपे रहते हैं. इसलिए किसानों के लिए इन फसलों की नियमित देखभाल बेहद जरूरी है.
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