Women Success Story: खेती ने प्रदेश की महिला किसानों की तकदीर बदल दी है. अभी तक एक-एक रुपये के लिए मोहताज रहने वाली महिलाएं अब खुद पूरे परिवार का खर्च चला रही हैं. खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही अपने गांव के आसपास की महिलाओं को रोजगार को भी स्वावलंबी बना रही हैं. इसी कड़ी में बुंदेलखंड के महोबा जिले की रिवई गांव निवासी कमला त्रिपाठी खेती के जरिए अपने गांव ही नहीं बल्कि पूरे बुंदेलखंड की पहचान बन गई हैं.
वह बताती हैं कि जब उन्होंने खेती की शुरुआत की तो परिवार के लोग नाराज थे और कहते थे कि परास्नातक होने के बाद अपनी शिक्षा मिट्टी में मिला रही हो लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का साथ मिला और धीरे- धीरे आमदनी बढ़ी. बुंदेलखंड में अन्ना पशु समस्या हैं, लेकिन कमला ने इन गायों को भी अपनी आदमनी का आधार बनाकर आय का जरिया बनाया. सफल महिला किसान ने बताया कि रसायनिक मुक्त खेती पहले हमने 4 एकड़ में की थी. इस साल हमने 7 एकड़ और बढ़ी दी है. कुल 11 एकड़ में हम खेती कर रहे है. उन्होंने बताया गाय के गोबर से खाद बनाकर अपने खेती में डालते है. जिससे फसलों की उपज और पैदावार अच्छी होती है. महोबा निवासी कमला त्रिपाठी ने आगे बताया कि मूंगफली की खेती से इस साल 4 लाख रुपये की आय हो गई हैं.
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उन्होंने कहा कि इनके गोबर और मूत्र को इकट्ठा कर बीजामृत, जीवामृत आदि तैयार किया जाता है. इस मिश्रण को सब्जी की खेती में प्रयोग करते है. मटर, मूंगफली और अरहर का भरपूर उत्पादन हमारे खेतों में होता है. महिला किसान ने बताया कि अब पूरे बुंदेलखंड के किसान गौ आधारित खेती की तकनीक सीखने उनके खेतों में आते हैं. महिला किसान कमला बताती है कि इस तरह सभी तरह के खर्च काटकर हर साल करीब 5-6 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. वह वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में आसपास की महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. आपको बता दें कि बीते दिनों लखनऊ में इस नए प्रयोग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें 75 हजार रुपये का पुरस्कार दिया था.
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