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Success Story: उत्तराखंड में कर्ज लेकर शुरू की सेब की खेती, अब लाखों में हो रही है कमाई

Success Story: उत्तराखंड में कर्ज लेकर शुरू की सेब की खेती, अब लाखों में हो रही है कमाई

चमोली जिले के झेलम गांव के निवासी इंद्र सिंह की ‘एप्पल मैन’ बनने की राह बहुत कठिन रही है. उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां बंजर भूमि थी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार का कोई साधन नहीं था. लेकिन उन्होंने हौसला और उम्मीद नहीं खोया. फिर वो हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद अपने गांव जाकर इसकी बागवानी करने की ठानी.

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कर्ज लेकर शुरु की सेब की खेती, अब हो रही है लाखों में कमाई कर्ज लेकर शुरु की सेब की खेती, अब हो रही है लाखों में कमाई

पलायन की मार झेल रहे उत्तराखंड में एक किसान ने सेब की खेती करके अपने साथ-साथ पूरे जिले और राज्य का नाम रोशन किया है. इस किसान ने पहाड़ की बंजर भूमि को सिंचकर सेब उगा दिया है. दरअसल उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश सेब की बागवानी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. वहां के लोगों की आर्थिक आय में सेब की बागवानी का काफी अहम रोल है. इसी को देखकर उत्तराखंड के जोशीमठ की नीति घाटी में भी ‘एप्पल मैन’ के नाम से मशहूर इंद्र सिंह बिष्ट कई सालों से सेब उगा रहे हैं.

इसमें उन्हें 03 से 04 लाख रुपये की आमदनी होती है. वहीं उन्होंने बताया कि उन्हें सेब की खेती करने की प्रेरणा हिमाचल के लोगों से ही मिली. साथ ही उनकी ‘एप्पल मैन’ बनने की राह बड़ी कठिन रही. आइए जानते हैं ‘एप्पल मैन’ की कहानी.

‘एप्पल मैन’ बनने की कहानी

चमोली जिले के झेलम गांव के निवासी इंद्र सिंह की ‘एप्पल मैन’ बनने की राह बहुत कठिन रही है. उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां बंजर भूमि थी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार का कोई साधन नहीं था. लेकिन उन्होंने हौसला और उम्मीद नहीं खोया. फिर वो हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद अपने गांव जाकर इसकी बागवानी करने की ठानी. तब उन्होंने 20 हजार रुपये का कर्ज लेकर बंजर भूमि पर सेब के 100 पेड़ लगाए और उसको सिंचा.

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10 साल के इंतजार और अथक प्रयास के बाद जब पेड़ों ने फल देना शुरू किए, तो उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज उनका सेबों का बगीचा है, जिसमें लगभग 500 के करीब पेड़ हैं. वहीं उनसे ही प्रेरणा लेकर क्षेत्र के कई लोगों ने सेब लगाने शुरू कर दिया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक उन्हें लोग ‘एप्पल मैन’ कहते हैं.

कई किस्मों की करते हैं खेती

किसान ने बताया कि वह सेबों की खेती जैविक तरीके से करते हैं. इसमें में वह खाद के तौर पर गोबर और गौमूत्र का छिड़काव करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि जब सेब के सीजन आते हैं तो बाजारों में उनके उगाए गए सेबों की काफी डिमांड रहती है.  इसकी बड़ी वजह है सेबों की ऑर्गेनिक खेती है. जैविक तरीके से उगाने की वजह से सेब स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए अन्य सेबों के मुकाबले बेहतर है. वहीं वह फिलहाल हैरिसन, राइमर, स्पर, रॉयल डेलिसस, और गोल्डन नामक प्रजाति के सेब उगाते हैं.

4 लाख की करते हैं कमाई

बात करें कमाई की तो उनकी सालाना 3 लाख से 4 लाख रुपये तक कमाई हो जाती है. शुरू में उन्होंने स्थानीय स्तर पर ही सेब बेचे, लेकिन बाद में देहरादून के अलावा अन्य राज्यों की मंडी में भी उन्होंने अपने सेब बेचे. 80 वर्ष की उम्र में भी जिस तरीके से खेती में लगे हुए हैं, वह पहाड़ों से पलायन की मार झेल रहे उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं.