Success Story: इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ किसान बने प्रमोद गौतम, आज लाखों में होती है कमाई

Success Story: इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ किसान बने प्रमोद गौतम, आज लाखों में होती है कमाई

प्रमोद गौतम नागपुर के हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक इंजीनियर के तौर पर की. उन्होंने नागपुर स्थित यशवंतराव चव्हाण कॉलेज से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में नौकरी में लग गए. बड़ी कंपनियों में काम किया और हर महीने मोटी तनख्वाह उठाते रहे. लेकिन प्रमोद गौतम को यह नौकरी पसंद नहीं थी.

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इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ किसान बने प्रमोद गौतम, आज लाखों में होती है कमाईनागपुर के प्रमोद गौतम इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ किसान बने (प्रतीकात्मक फोटो-Unsplash)

खेती-किसानी में कई रिकॉर्ड बन रहे हैं. यहां तक कि लोग नौकरी छोड़ खेती-किसानी को अपना मुख्य पेशा बना रहे हैं. लोगों को इसमें फायदा भी खूब हो रहा है. बस जरूरत है खेती किसानी की टेक्निक को जानने की जो उन्हें नौकरी से अधिक खेती से कमाई करा सकती है. हम अकसर देश में अमीरों की लिस्ट देखते हैं. यह जानने की कोशिश करते हैं कि फलां उद्योगपति या बिजनेसमैन इतना अमीर है. लेकिन क्या आपको पता है कि अपने देश के कई किसान भी इतने अमीर हैं कि लोगों को भरोसा नहीं होता. इसी में एक किसान प्रमोद गौतम (Pramod Gautam) का नाम आता है. इन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ खेती शुरू की और अमीरी में इनका नाम है.

प्रमोद गौतम (Pramod Gautam Success Story) नागपुर के हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक इंजीनियर के तौर पर की. उन्होंने नागपुर स्थित यशवंतराव चव्हाण कॉलेज से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में नौकरी में लग गए. बड़ी कंपनियों में काम किया और हर महीने मोटी तनख्वाह उठाते रहे. लेकिन प्रमोद गौतम को यह नौकरी पसंद नहीं थी. लिहाजा उन्होंने मन की सुनी और 2006 में नौकरी छोड़कर किसान बनने की ठान ली. इसके लिए उनके पास संसाधन की कोई कमी नहीं थी क्योंकि वे नागपुर, महाराष्ट्र में 26 एकड़ पुस्तैनी जमीन के मालिक थे.

इंजीनियरिंग से अधिक खेती से कमाई

प्रमोद गौतम के दिमाग में एक बात हमेशा घूम रही थी कि परंपरागत खेती से बहुत काम नहीं चलने वाला और कुछ नया करना होगा. लिहजा उन्होंने खेती में खोज, खेती में इनोवेशन बढ़ाने वाली तकनीक के बारे में जानना शुरू किया. ऐसी तकनीक उनके काम आई और वे आज नागपुर के किसानों में बड़ा नाम हैं. उनकी कमाई आज इंजीनियरिंग की नौकरी से अच्छी हो रही है और वे आसपास के किसानों की मदद कर रहे हैं. किसानों को वे बताते हैं कि अपनी फसल की बंपर पैदावार कैसे लेनी है और उपज-पैदावार कैसे बढ़ानी है.

कृषि की नई तकनीक से फायदा

जैसे हर स्वरोजगार में होता है, प्रमोद गौतम (Pramod Gautam) के साथ भी ऐसा ही हुआ. शुरू में उन्होंने नौसिखिये के तौर पर मूंगफली और हल्दी की खेती शुरू की, लेकिन कमाई अधिक नहीं हो पाई. इसके पीछे कई समस्याएं कारण बनीं. सबसे बड़ी परेशानी मजदूरों को लेकर हुई क्योंकि अधिकांश श्रमिक शहरों में भाग रहे हैं. इससे बचने के लिए प्रमोद गौतम उस खेती और टेक्निक की तरफ मुखातिब हुए जिसमें लेबर की जरूरत कम थी. उन्होंने खेती में इस्तेमाल होने वाले आधुनिक यंत्रों का प्रयोग शुरू किया. इसमें ऐसे ट्रैक्टर उनके काम आए जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं होती.

दाल की खेती ने बनाया अमीर

धीरे-धीरे उन्होंने मूंगफली और हल्दी से ध्यान हटाया और दालों की खेती और उसका बिजनेस शुरू कर दिया. इसके अलावा उन्होंने अमरूद, संतरा, नींबू की बागवानी शुरू की. खेतों में बड़े पैमाने पर तूर दालें लगाईं. दाल की खेती और उपज बढ़ी तो उन्होंने मिल लगा दी. उनकी दाल की खेती कमाल कर गई. इससे उन्होंने दालों का बिजनेस शुरू किया जिसमें कच्ची दालों से लेकर पैकेटबंद दालों की बिक्री शुरू की गई. आज उनका यह धंधा सबसे तेज चल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दाल मिल से प्रमोद गौतम (Pramod Gautam) का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये का है. साथ में खेती और बागवानी से 10-12 लाख रुपये की कमाई होती है. उनकी यह कमाई इंजीनियरिंग की कमाई से अधिक है.

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