पराली जलाना दिल्ली-NCR के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है. यह न केवल वायु प्रदूषण को बढ़ाता है, बल्कि इससे किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इसे जलाने से आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है. लेकिन इससे भी बड़ी परेशानी है कि आखिर इस बची हुई पराली का निपटान कैसे किया जाए? इसी को लेकर पंजाब के रहने वाले एक शख्स ने एक नया और अनोखा समाधान निकाला है. इससे न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी बल्कि किसानों को भी इससे फायदा हो सकेगा. पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले परमिंदर सिंह ने ये नया समाधान निकाला है. उन्होंने Agro Stubble Management नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया है. इन्होंने पराली से टाइल्स बनाने का काम किया है. ये दूसरी टाइल्स के मुकाबले हल्की और किफायती भी है. पराली से बनी इन टाइल्स से पर्यावरण को बचाने के साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने का काम किया जा रहा है.
परमिंदर ने इस स्टार्टअप की शुरुआत पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए की है. उनके इस स्टार्टअप में पराली से बने 'इको-फ्रेंडली टाइल्स' तैयार किए जाते हैं. इनका इस्तेमाल घरों की छतों और दीवारों को सजाने के लिए किया जा सकता है. GNT Digital को परमिंदर ने बताया कि पराली जलाने के बजाय इसे रीसाइकल करके अच्छे प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं. ये न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि किसान भी इससे पैसे कमा सकते हैं. उनके लिए ये इनकम का अच्छा स्रोत है.
वे कहते हैं, "उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा फायदा ये है कि यहां रॉ मटेरियल (पराली) बहुत है. और किसी भी कंपनी का 50 प्रतिशत तक काम वहीं पूरा हो जाता है जब रॉ मटेरियल मिल जाता है. मेरे पास पराली का स्टॉक तो था. इसके लिए दस साल तक मैंने रिसर्च की. हालांकि, पहले दो प्रोडक्ट डिजाइन किए, लेकिन उनमें मैं सफल नहीं हो पाया. 2022 में कंपनी को लेकर काम शुरू किया था. इस पर पूरी रिसर्च करके अभी तीन से चार महीने में प्रोडक्शन प्लान पर भी मैं काम करने जा रहा हूं."
अभी तक परमिंदर का ये स्टार्टअप लोकल बाजारों में अपनी पहचान बना चुका है. अपने प्रोडक्ट्स के जरिए वे न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि इससे किसानों को भी मुनाफा पहुंचाया जा रहा है.
परमिंदर टाइल्स बनाने के लिए खास तकनीक का उपयोग करते हैं. इसमें पहले पराली को इकट्ठा किया जाता है और उसे अलग-अलग केमिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. फिर उसे टाइल्स का रूप दिया जाता है. इस प्रक्रिया में पराली को कम से कम बिजली खर्च करके मजबूत और टिकाऊ प्रोडक्ट्स में बदला जाता है. इन टाइल्स का इस्तेमाल छतों, दीवारों, और यहां तक कि आंगन की सजावट के लिए भी किया जाता है.
इसके अलावा, पराली के उपयोग से बनने वाली टाइल्स न केवल मजबूत होती हैं, बल्कि यह दूसरी टाइल्स की तुलना में हल्की और सस्ती भी होती हैं.
परमिंदर इस स्टार्टअप को शुरू करने के पीछे के मकसद को बताते हैं. वे कहते हैं, “स्टार्टअप शुरू करने के पीछे का सबसे बड़ा मोटिव था कि पराली के जलाने को कम किया जाए. और इसे केवल एक ही तरीके से कम किया जा सकता है: पराली की कीमत तय करके. जिस दिन से पराली की कीमत मिलने लगेगी और ये बिकनी शुरू हो जाएगी उस दिन से लोग पराली में आग लगाना बंद कर देंगे. क्योंकि सभी ये सोचते हैं कि ये फालतू चीज है, इसे फेंक दो या फिर जला दो. अगर किसी चीज की वैल्यू होगी तो उसको कोई जलाएगा नहीं.”
अब अगर इसके फायदों की बात करें, तो इसको लेकर परमिंदर ने कई सारी चीजें बताईं-
इसको बनाने के लिए मटेरियल कहां से आता है?
इस प्रोडक्ट का मुख्य मटेरियल पराली है, जिसे पंजाब के किसानों से इकट्ठा किया जाता है. जो आमतौर पर जलाकर नष्ट कर दी जाती है, अब एक कीमती संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह किसानों से सीधा लिया जाता है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों को उनके पराली के बदले उचित मूल्य मिले सके.
इसके अलावा, अन्य सामग्रियों जैसे रेजिन, बाइंडिंग एजेंट्स और रंगीन पिगमेंट्स का भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि इन टाइल्स को और अधिक आकर्षक और टिकाऊ बनाया जा सके. अब अगर कीमत की बात करें, तो परमिंदर के मुताबिक, पराली से बनी टाइलों की निर्माण लागत पारंपरिक टाइलों की तुलना में काफी कम है. वे कहते हैं, “अभी तक जितनी गिनती हमने की है उसके हिसाब से मैन्युफैक्चर करने की कास्टिंग डेढ़ सौ के आसपास आती है. मार्केट में टाइल के तीन तरह के साइज उपलब्ध हैं. इनकी कीमत पांच सौ रुपए तक जाती है. हमारी टाइल्स साउंड प्रूफिंग के लिए थिएटर में इस्तेमाल हो सकती है.”
पर्यावरण पर इसके क्या प्रभाव देखने को मिल रहे हैं?
गौरतलब है कि, पराली जलाना वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है, और यह हर साल हजारों लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है. इस स्टार्टअप के जरिए पराली का सही उपयोग किया जा रहा है, जिससे प्रदूषण को कंट्रोल करने में मदद मिल रही है.
Agro Stubble के भविष्य को लेकर परमिंदर ने GNT Digital को बताया, “हम अपने प्रोडक्ट्स के वेरिएशन पर विचार कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य पैसे कमाना नहीं है बल्कि सोल्यूशन पर काम करना है. इसका लक्ष्य पराली से बने टाइल्स को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है. ताकी पर्यावरण को फायदा पहुंचाया जा सके और प्रदूषण कम किया जा सके.” (ये एक्सक्लूसिव स्टोरी निहारिका ने की है. निहारिका GNT डिजिटल में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं)
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