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Kisan Tak Summit: खेती के पारंपरिक मॉडल को त्यागी ने बदला, ऑर्गेनिक खेती के लिए मिला पद्मश्री

Kisan Tak Summit: खेती के पारंपरिक मॉडल को त्यागी ने बदला, ऑर्गेनिक खेती के लिए मिला पद्मश्री

मौजूदा वक्त में देश में कई ऐसे किसान हैं जो आधुनिक तरीके से खेती करके अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. उन्हीं किसानों में से एक भारत भूषण त्यागी भी हैं. जैविक खेती में सफलता हासिल करने की वजह से भारत सरकार द्वारा भारत भूषण त्यागी को पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है. आइये जानते हैं किसान तक समिट में उन्होंने क्या कुछ कहा-

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आर्गेनिक खेती के लिए पद्मश्री पाने वाले भारत भूषण त्यागी आर्गेनिक खेती के लिए पद्मश्री पाने वाले भारत भूषण त्यागी

भरत भूषण त्यागी ने नई दिल्ली में आयोजित किसान तक समिट में खेती-किसानी के बारे में विस्तार से बात की. किसान तक इंडिया टुडे ग्रुप का डिजिटल चैनल है जिसका उद्घाटन मंगलवार को नई दिल्ली में किया गया. इसका उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया.भरत भूषण त्यागी ने कहा कि जो सहकारिता है, कृषि है, वह प्रकृति और मनुष्यों का साझा कार्य है. इसको अलग करने की जरूरत नहीं है. लेकिन हुआ यह कि इसको राजनीतिक लोगों ने इसे अलग दृष्टिकोण से देखा और वैज्ञानिकों ने अलग दृष्टि से देखा, गाँव के लोगों ने अलग दृष्टिकोण से देखा और व्यापारी वर्ग ने अलग दृष्टिकोण से देखा. ये दृष्टिकोण के भेद के कारण ही कृषि कि ऐसी दुर्दशा हुई और आज भी है. यदि इसी पर हम गंभीर होकर चर्चा नहीं करेंगे. तो कोई रास्ता नहीं निकलेगा.  भरत भूषण त्यागी ने आगे जैविक खेती पर जोर दिया......

भरत भूषण त्यागी जैविक खेती करते हैं. भरत भूषण त्यागी ने जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए खेती में कई तरह की सफल प्रयोग किया है. जैविक खेती में सफलता हासिल करने की वजह से भारत सरकार द्वारा भरत भूषण त्यागी को पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है. किसान तक से बातचीत में भरत भूषण त्यागी ने बताया कि उनकी ये यात्रा आसान नहीं रही है. मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी की है. वहीं जब नौकरी कि बात आई तो मेरे पिताजी ने कहा बेटा तुम्हें नौकरी नहीं करनी है. तुम अपना भविष्य खेती या फिर ग्रामीण परिवेश में प्राइमरी शिक्षा में ही तलाशने की कोशिश करो. क्योंकि कृषि का जो विकास हो रहा है उससे आने वाले समय में अनाज और जमीन दोनों जहरीले होते जाएंगे. गांव में प्राइमरी शिक्षा का स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है. पिता जी की बात मानकर 1976 में मैंने खेती को अपना लिया और संकल्प के साथ उसकी शुरुआत की. 

जैविक खेती करने के बारे में सोचा 

1976 से 1987 तक आधुनिक खेती करते समय भरत भूषण त्यागी ने ध्यान दिया कि आधुनिक खेती लागत आधारित खेती है. जिसमें जुताई, बीज, खाद, सिंचाई, कीटनाशकों के बल पर खेती की जाती है और ये महंगी खेती भी है, क्योंकि इसके लिए किसान जुताई, खाद, बीज, केमिकल के लिए बाजार पर निर्भर हैं. त्यागी ने आगे बताया कि तब से जैविक खेती के बारे में सोचा. वहीं इस खेती को शुरू करने के पीछे विचार ये था कि इन सब चीजों का उपयोग करने से फसलों की उपज बढ़ेगी. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. किसान खुशहाल होंगे. 

आधुनिक लागत से किसान खुश नहीं 

भरत भूषण त्यागी ने खेती करते समय गौर किया कि आधुनिक लागत आधारित खेती से किसान खुशहाल नहीं हो सकता है. 
क्योंकि सब कुछ बाजार के भरोसे है. लागत का सभी समान जुताई, बीज, खाद, रासायनिक कीटनाशक बाजार के हाथ में है.
इसके अलावा, किसान की उपज के दाम भी बाजार ही तय करता है. ऐसे में देख जाए तो किसान खेती नहीं कर रहा है, 
बल्कि बाजार किसान से खेती करवा रहा है. दूसरी तरफ बाजार ही किसान का सामान खरीदता है और उसकी प्रोसेसिंग करके उपभोक्ता से मुनाफा कमाता है. बाजार इस तरह से किसान और उपभोक्ता दोनों का शोषण करता है. त्यागी बताते हैं यहां से उनकी जैविक खेती की शुरुआत हुई. 

दूसरे विकल्प की खोज 

खेती में लगातार बढ़ रहे घाटे से बेचैन भरत भूषण त्यागी सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद इसके विकल्प की खोज में लगातार आगे बढ़ते गए. त्यागी का मानना था कि बाजार के एकाधिकार से देश की कृषि इकोनॉमी बिगड़ गई है. उपज तो बढ़ी है, लेकिन किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी है. हरित क्रांति के नाम पर खेती के जिन तरीकों को सरकारें आगे बढ़ाती रहीं. उनसे कई नुकसान हुए. इसके कारण भूमिगत जल स्तर कम हुआ है, जल प्रदूषण बढ़ा है, मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता घटी है. इन सभी समस्याओं को दूर करने के उपाय खोजने की कोशिश करते हुए भारत भूषण त्यागी धीरे-धीरे दूसरी विकल्पों की तलाश करने लगे.  

भारत भूषण त्यागी ने अन्य दूसरे काम भी किए  

आधुनिक लागत आधारित खेती के विकल्प की तलाश में भारत भूषण त्यागी ने मधुमक्खी पालन, कपड़ा बनाना, जल संरक्षण, बीज निर्माण, एग्रो प्रोडक्ट प्रोसेसिंग जैसे कई काम किए और अपने परिवार का खर्च चलाते रहे. खेती में उनको कुछ खास मुनाफा नहीं हो रहा था. भरत भूषण त्यागी बताते हैं कि खेती के लिए किसी भी प्रकार की लागत एवं अनेक प्रकार के तरीकों से ज्यादा जरूरी प्रकृति की उत्पादन व्यवस्था को समझना है. प्रकृति को समझकर ही हम खेती में टिकाऊ परिवर्तन कर सकते हैं. आज देश प्राकृतिक खेती की दिशा में बढ़ रहा है. इसलिए प्रकृति की व्यवस्था केंद्रित कृषि अनुसंधान, कृषि शिक्षा, कृषि नीति के साथ-साथ विज्ञान एवं तकनीक को अपनाए जाने की जरूरत है. आधुनिक खेती की समस्याओं और चुनौतियों की ठीक-ठीक पहचान करते हुए हमें सोच में बदलाव करने की जरूरत है. 

खेत एक फसल अनेक

इन सब के बाद भारत भूषण त्यागी ने खेत एक, फसल अनेक का नियम बनाया. जब भरत भूषण त्यागी ने इसको अपनाया तो 
इससे उनकी जमीन की उर्वरकता सुधरी, जमीन में कार्बनिक तत्व बढ़े और सूक्ष्म जीव बढ़े, उपज बढ़ी और पानी, खाद में बचत हुई. सहफसली खेती से भारत भूषण त्यागी के खेतों में पानी का उपयोग आधा हो गया. इससे उनको लाभ हुआ. इस खेती का नाम उन्होंने सह-अस्तित्व मूलक आवर्तनशील कृषि पद्धति (SAMAK) रखा. खेती की SAMAK पद्धति में कृषि के प्रबंधन को ध्यान में रखकर उन्होंने प्रकृति के नियमों को अपनाया. भारत भूषण त्यागी फसल प्रणाली, उत्पादन का सतही घनत्व, नैसर्गिक संतुलन, दूरी का नियम, समय और ऋतु काल, श्रम नियोजन, बीजों की अनुवांशिक संरचना आदि को प्रबंधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना और कई प्रयोग किए.

भरत भूषण त्यागी ने बनाया ब्रॉन्ड एग्री बाबा 

त्यागी ने बताया कि इस जैविक खेती के लिए उन्होंने ने चार पहलुओं पर जोर दिया है. जिसमें सबसे पहले उत्पादन का प्रबंधन, उसके बाद गुणवत्ता प्रमाणीकरण, फिर मूल्य और सबसे अंत में मार्केटिंग व्यवस्था पर ध्यान दिया. भरत भूषण त्यागी का साफ कहना है कि अगर किसान इन चारों चीजों को अपनाकर काम करेंगे तो आय दोगुनी से चार गुणी भी बढ़ सकती है. उन्होंने किसानों से मिलजुल कर अपना सहकारी संगठन बनाया. उन्होंने कहा किसानों को कंपनियों की तरह ही अपना ब्रॉन्ड बनाने पर भी जोर देना चाहिए. इसी को आधार बनाकर भारत भूषण त्यागी ने अपना ब्रॉन्ड एग्री बाबा लॉन्च किया और अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग भी शुरू की. भूषण त्यागी दूसरे किसानों को नि:शुल्क प्रशिक्षण और कृषि जानकारी जैसे- गौशाला, गोबर गैस प्लांट के साथ ही खेती के तौर-तरीके सिखाते हैं. 

पद्मश्री पुरस्कार से समानित

खेती को एक नया नजरिया देने में भरत भूषण त्यागी के योगदान को देखते हुए उनको देशभर में कई सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया है. भारत भूषण त्यागी को सरकार ने 2019 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया. इसके अलावा पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने भारत भूषण त्यागी को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया है. जैविक खेती के लिए ऑर्गेनिक इंडिया ने  2016 में भारत के सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान के रूप में सम्मानित किया था.