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OMG ! खीरे ने किया मालामाल, 45 हजार की नौकरी छोड़ी और कमाए सीधे आठ लाख

OMG ! खीरे ने किया मालामाल, 45 हजार की नौकरी छोड़ी और कमाए सीधे आठ लाख

क्या आप सोच सकते हैं कि किसी किसान को खीरे से भी आठ लाख रुपये का लाभ हो सकता है. आपको लगता होगा कि खीरा-ककड़ी में ऐसा क्या रखा है जो करनाल के एक किसान ने पुरातन खेती को छोड़कर खीरा लगाना शुरू कर दिया. वह भी नेट हाउस बनाकर. आप भी इस किसान का कमाल जानना चाहते हैं, तो ये खबर पढ़ें.

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करनाल में खीरे की खेती से किसान की हुई अच्छी कमाई करनाल में खीरे की खेती से किसान की हुई अच्छी कमाई

नौकरी अगर अच्छी हो तो खेती-किसानी करने के बारे में भला कौन सोचता है. लेकिन बदलाव के इस दौर में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जिद और जज्बे के चलते नई राह पकड़ रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में आपने ऐसी कई खबरों के बारे में सुना या पढ़ा होगा कि किसी ने इंजीनियर की नौकरी तो किसी ने गूगल की नौकरी छोड़ कर किसानी शुरू कर दी. आइए हम आपको मिलवाते हैं ऐसे ही एक किसान से जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ अपनी पुश्तैनी जमीन पर चार नेट हाउस लगाकर खीरे की खेती शुरू की है. जी हां, आप सही सुन रहे हैं. खीरे की सालोंभर तेज रहती मांग को देखते हुए इस शख्स ने नौकरी छोड़ खीरे की खेती शुरू की है. 

यह कहानी करनाल जिले के गांव छपरियो की है जहां एक युवा किसान ने अपनी 45000 रुपये की सरकारी नौकरी छोड़ नेट हाउस में आधुनिक खेती शुरू की है. यह खेती खीरे की है जिसमें काफी अधिक फायदा है. गर्मी के मौसम में खीरे की डिमांड सबसे अधिक बढ़ जाती है. इसको लेकर इस युवा किसान ने दो साल पहले एक नेट हाउस से अपना खेती का काम शुरू किया. आज उनके पास तकरीबन चार के करीब नेट हाउस हैं. आगे दो और नेट हाउस लगाने के बारे में वे सोच रहे हैं. 

ड्रिप सिंचाई से मिली मदद

अभी तक उन्हें नेट हाउस का अच्छा तजुर्बा रहा है और कमाई भी बेहद अच्छी हुई है. उनकी खुद की आमदनी तो बढ़ ही रही है, वे कुछ अन्य लोगों को भी नौकरी दे रहे हैं. इस युवा की खेती संरक्षित खेती है क्योंकि शेड बनाकर उसमें खीरा उगाया जा रहा है. इस तरह की खेती का सबसे अधिक फायदा यह है कि इसमें पानी की काफी ज्यादा बचत होती है क्योंकि इसमें पौधों की जड़ों तक ही पानी पहुंचता है. पौधे को जितनी पानी की आवश्यकता होती है, ड्रिप सिंचाई के द्वारा बूंद बूंद पानी पौधों की जड़ों तक पहुंचता है. पानी के जरिये जितनी खुराक की उसको आवश्यकता होती है, उतनी मिल जाती है. इस समय इस युवा किसान के खेत में फसल की देख-रेख का काम चल रहा है और तुड़ाई भी हो रही है.

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किसान इस खीरे को दिल्ली चंडीगढ़ जैसे बड़े-बड़े शहरों में भेजते हैं जहां पर इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा रहती है. अगर इस समय के रेट की बात करें तो 15 रुपये प्रति किलो भाव चल रहा है. अगर इसमें खर्च की बात की जाए तो एक नेट हाउस पर ढाई से तीन लाख रुपये का खर्च कर दो लाख रुपये हर नेट हाउस में किसान को बचत हो रही है. यानी चार नेट हाउस से आठ लाख रुपये की बचत हुई है.

नेट हाउस से अच्छी कमाई

किसान ने बताया कि अगर इसमें सरकार की बात की जाए तो वहां से हमें सबसे पहले इसमें 65 परसेंट की सब्सिडी मिली थी. हालांकि अब उस सब्सिडी को 50 परसेंट कर दिया गया है. मगर उसके बाद भी काफी अच्छा काम चल रहा है. अगर और युवाओं की बात करें तो उनको सबसे पहले नेट हाउस के बारे में जानना पड़ेगा. ड्रिप सिंचाई क्या होती है, खाद पानी हमें किस प्रकार देना है, इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है. अगर किसान इस खेती में आना चाहते हैं तो वे इसके लिए ट्रेनिंग भी ले सकते हैं जहां से उनको अच्छी तरह की जानकारी मिल जाएगी. 

ऐसे करें खीरे की आधुनिक खेती

खीरा अलग-अलग मौसम के लिए उपलब्ध किस्मों के अनुसार पूरे साल उगाया जा सकता है. दो उठी हुई बेड्स के बीच से दूरी चार फीट हो और इसको एक ही कतार पर 30 से 40 से.मी. की दूरी पर बीज बोते हैं. खीरे के पौधों को एक प्लास्टिक की रस्सी के सहारे लपेटकर ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है. प्लास्टिक की रस्सियों के एक सिरे को पौधों के आधार से और दूसरे सिरे को ग्रीनहॉउस में क्यारियों के ऊपर 9-10 फीट ऊंचाई पर बंधे लोहे के तारों पर बांध देते हैं. इससे खीरा ऊपर की तरफ बढ़ता जाता है.

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खीरे की अलग-अलग दिशाओं से निकली शाखाओं की लगातार काट-छांट करनी चाहिए. कटाई-छंटाई करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि हमने किस किस्म को उगाया है. पौधों की उर्वरक और पानी की मात्रा मौसम और जलवायु पर निर्भर करती है. आमतौर पर गर्मी में हर दिन और सर्दी में दो-तीन दिन के अंतराल पर पानी दिया जाता है. उर्वरक पानी के साथ मिलाकर ड्रिप सिंचाई के जरिये दिए जाते हैं. बुआई के 40 दिन बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है.