बंजर जमीन पर किसान ने उगाया 'सोना'इंसान का जब दृढ़ निश्चय हो, तो बंजर जमीन को भी हरा-भरा किया जा सकता है. ऐसा ही कर दिखाया है हरियाणा के फतेहाबाद जिले के दैय्यार गांव के युवा किसान सुनील कुमार बरड़वाल ने, जिन्होंने अपनी रेतीली जमीन पर ड्रैगन फ्रूट उगाकर इस कहावत को हकीकत में बदल दिया है. इस उपलब्धि के बाद किसान सुनील पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गए हैं. दरअसल, सुनील कुमार ने गेहूं, सरसों और कपास जैसी पारंपरिक फसलों से हटकर अपनी 2 एकड़ रेतीली जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का फैसला किया, जिसके बाद आज वो इससे लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.
सुनील कुमार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की तब गांव वालों को शक था. उन्होंने सवाल किया कि रेत में एक उष्णकटिबंधीय फल कैसे उग सकता है. लेकिन उन्होंने निश्चय किया कि इसकी खेती करके रहेंगे, उसके लिए पहले वो केरल गए, जहां ड्रैगन फ्रूट की खेती अच्छी तरह से विकसित है और वहां उन्होंने पेशेवर प्रशिक्षण लिया. नए ज्ञान और तकनीकों से लैस होकर, उन्होंने अपना प्रयोग शुरू किया और अपनी बंजर जमीन को एक फलते-फूलते खेत में बदल दिया.
आज सुनील के खेत चमकीले, पके हुए ड्रैगन फ्रूट्स से लदे पौधों से भरे हैं. इस फसल से न सिर्फ़ उन्हें लाखों की कमाई हो रही है, बल्कि उनका खेत एक प्रशिक्षण केंद्र में भी बदल गया है, जिसके बाद आस-पास के गांवों के किसान अब आधुनिक खेती के तरीके सीखने के लिए उनके पास आते हैं. सुनील उन्हें सिंचाई, जैविक खाद और खरीद की रणनीतियों के बारे में व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन करते हैं.
'दि ट्रिब्यून' के मुताबिक, पोस्ट ग्रेजुएट सुनील फतेहाबाद सिविल अस्पताल में डेटा ऑपरेटर के रूप में काम करते हैं. फिर भी खेती के प्रति उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ. कोविड लॉकडाउन के दौरान जब अधिकांश लोग घर के अंदर ही रहे, तब उन्होंने ऑनलाइन सेमिनारों में भाग लेने और नई फसलों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में समय बिताया और यहीं से उनकी ड्रैगन फ्रूट की यात्रा शुरू हुई. सुनील के लिए शुरुआत आसान नहीं रही. कुछ पौधे सूख गए और कुछ संक्रमित हो गए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बता दें कि आज वही किसान जो कभी उनके विचार पर हंसते थे, अब सलाह लेने उनके खेत पर आते हैं.
सुनील के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट की खेती में शुरुआती निवेश लगभग 3-4 लाख रुपये प्रति एकड़ है, जिसमें पौधे, सीमेंट के खंभे, ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद की लागत शामिल है. हालांकि, पौधे 10-15 साल तक फल देते रहते हैं. शुरुआती निवेश के बाद, यह हर मौसम में स्थिर और बेहतर रिटर्न देता है. सुनील बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी हमेशा मांग रहती है. यह विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.
सुनील कुमार की सफलता की कहानी दर्शाती है कि सही दृष्टिकोण और लगन से कृषि एक आधुनिक और लाभदायक क्षेत्र बन सकती है. दैय्यार के इस युवा किसान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से न केवल अपनी किस्मत बदली है, बल्कि फतेहाबाद के सैकड़ों किसानों को नए और टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित भी किया है.
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