राजस्थान में अजमेर के कुंदननगर के रहने 35 वर्षीय गुरकीरत सिंह ब्रोका अपने घर केसर की खेती शुरू की है. देखा जाए तो भारत में केसर की खेती नेचुरली कश्मीर में होती है, लेकिन गुरकीरत अपने घर के एक कमरे में इस ठंडी फसल की खेती कर रहे हैं. उन्होंने केसर की पहली उपज में ही अपनी लागत निकाल ली. दरअसल, गुरकीरत सिंह ब्रोका खुद का कुछ ऐसा स्टार्टअप या बिजनेस शुरू करना चाहते थे, जिससे वे लोगों को हेल्थी और शुद्ध खाने-पीने की चीजें मुहैया करा सके. इस क्रम में जब उन्होंने केसर के बारे में जानकारी जुटाई तो तय कर लिया कि वे अब शुद्ध केसर उगाकर सीधे लोगों तक पहुंचाएंगे.
'दैनिक भास्कर' की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरकीरत ने बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग के बाद मुंबई के एक कॉलेज से एमबीए किया है. उनके पिता एक डॉक्टर थे, जिनका साल 2019 में निधन हो गया, जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वे अजमेर में अपनी मां के साथ रहेंगे और यहीं पर कुछ करेंगे. इस काम के लिए गुरकीरत ने 12 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली जॉब भी ठुकरा दी.
गुरकीरत ने बताया कि केसर की खेती की जानकारी जुटाने के बाद वह 2024 की शुरूआत में कश्मीर गए और खेती के बारे में और देखा-समझा. इसके बाद वह 100 किलो बीज खरीदकर लाए. बीज के भाव साइज के हिसाब से 400 रुपये किलो से 5000 रुपये प्रति किलो तक थे. गुरकीरत ने बीज लाने के साथ ही इन्हें उगाने और इनसे बीज तैयार करने की जानकारी भी हासिल की. फिर अजमेर लौटकर यहां की मिट्टी की लैब में जांच कराई और इसमें वर्मी कंपोस्ट मिलाया.
गुरकीरत ने बताया कि उन्होंने केसर की खेती के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया और अपने घर में एक कमरे को उसके अनुरूप बनाने का काम किया. उन्होंने अपने कमरे को ठंडा रखने के लिए 2 टन का एसी लगवाया है, जिससे वे कमरे का तापमान 10 से 12 डिग्री पर सेट करके रखते हैं. साथ ही तापमान मेंटेन करने के लिए कमरे में ह्यूमिडिफायर भी तैयार किया है. कमरे में साधारण सफेद, नीली और रेड एलडीडी लाइट लगा रखी है, ताकि केसर को सही माहौल मिल सके. इसमें उनके 2 लाख रुपये के करीब खर्च हुए.
गुरकीरत ने केसर उगाने के लिए ट्रे, पानी, मिट्टी की व्यवस्था की और केसर के बीजों को साफ कर इनका एंटी फंगस ट्रीटमेंट से स्प्रे कर उपचार किया. घर के एक कमरे में लैब तैयार कर इन्हें बो दिया. उन्होंने सितंबर में बीज बोए जिससे दिसंबर में फूल आने लगे. हर पौधे में तीन फूल खिले और हर फूल से तीन कलियां मिलीं, जिनमें धागेनुमा केसर प्राप्त हुआ.
तीन महीने में मिली पहली तुड़ाई से करीब 150 ग्राम केसर की उपज मिली, जिसे बेचकर उनकी लागत निकल गई. उन्होंने अजमेर, जयपुर, दिल्ली-एनसीआर और अहमदाबाद से ऑनलाइन आर्डर मिलने पर डिलीवरी की और करीब एक हजार रुपये प्रतिग्राम तक दाम हासिल किए. अब उनके पास आगे खेती करने के लिए पर्याप्त बीज भी बचे हैं, जिससे वह और मुनाफा कमा सकेंगे.
गुरकीरत के अनुसार, उन्होंने दो प्रकार से केसर का उत्पादन किया. पहला बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए एयरोपोनिक तकनीक से लैब में केसर तैयार किया. इसके अलावा मिट्टी में सीड मल्टीप्लिकेशन और ग्रोथ पर काम किया. बीज का साइज बढ़ने पर मिट्टी में रोपाई की. ऐसा करने से उन्हें बड़े साइज का बीज मिला और नया बीज भी तैयार हो गया. अब वह आने वाले सितंबर में इन बीजों से फिर केसर तैयार करेंगे. गुरकीरत केसर उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती का दायरा बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं.
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