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Success Story: किसान ने बनाई पैडल से चलने वाली आटा चक्की, विदेश से आ रही खरीदारों की डिमांड  

Success Story: किसान ने बनाई पैडल से चलने वाली आटा चक्की, विदेश से आ रही खरीदारों की डिमांड  

अर्जुन शिंदे ने कृषि में इस्तेमाल होने वाली कई सारी चीज़े भी बनाई हैं, जिससे किसानों को मदद मिल रही. अब उनकी प्रसिद्ध पैडल वाली आटा चक्की काफी लोकप्रिय हो गई है. अब उनकी पैडल से चले वाली आटा चक्की के आर्डर बड़े पैमाने पर देश और विदेश से आ रहे हैं.

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पैडल वाली चक्की चलते हुए पैडल वाली चक्की चलते हुए

हमारे देश में जुगाड़ से ऐसे आविष्कार होते रहते हैं जो बड़े काम आते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है महाराष्ट्र के जालना जिले के रहने वाले अर्जुन शिंदे ने. शिंदे ने पैडल से चलने वाली आटा चक्की बना दी है. जो बिना बिजली के गेहूं पीसती है. यह व्यायाम का साधन भी बन गई है. अब इस पैडल वाली आटा चक्की की मांग बढ़ती जा रही है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. 

अर्जुन शिंदे ने आठवीं क्लास तक पढ़ाई की है, और वह पहले से ही कुछ नई चीज बनाने का शौक रखते थे. शिंदे ने कृषि में इस्तेमाल होने वाली कई सारी चीज़े भी बनाई हैं, जिससे किसानों को मदद होती है, लेकिन सबसे ज्यादा मशहूरी उनकी पैडल वाली चक्की से हुई है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं, और अब उनकी पैडल की चक्की के आर्डर बड़े पैमाने पर देश और विदेश से आ रहे हैं.

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कैसे हुई पैडल वाली चक्की बनाने की शुरुआत

शिंदे ने बताया कि गांव में कुछ साल पहले बारिश की वजह से लाइट के खंभे गिर गए थे, जिससे लाइट कुछ दिन के लिए चली गई थी. घरों में गेहूं का आटा खत्म हो गया और परिवार के लोग रोज-रोज चावल भी नहीं खा पा रहे थे. गांव में लाइट न होने की वजह से आटे की चक्की बंद थी. इसके बाद अर्जुन शिंदे के घर वालों ने घर की चक्की पर गेहूं को पीस कर रोटी बनाई. शिंदे को रोटी में कुछ अलग ही स्वाद लगा था.  यहां से ही अर्जुन शिंदे के दिमाग में आइडिया आया कि अच्छी रोटी खाने के लिए उसे ही कुछ करना पड़ेगा. उसने अपना दिमाग लगाया और पैडल के जरिए चलने वाली चक्की बना डाली. जिसकी अब देश के साथ-साथ विदेशों में भी मांग बढ़ गई है.

किसान ने क्या कहा ?

अर्जुन शिंदे का कहना है कि पहले ज़माने में सभी के घरों में हमारे बड़े, बूढ़े हाथ से बनी चक्कियों पर ही गेहूं पीसते थे. ऐसे आटे में कई सारे प्रोटीन भी मिला करते थे. उस आटे में स्वाद भी हुआ करता था. ऐसे ही पैडल वाली चक्की के आटे में भी मिलता है. अर्जुन का कहना है कि मौजूदा दौर में लोग वॉकिंग करते हैं और व्यायाम भी जाते हैं, लेकिन उनकी इस पैडल से चलने वाली चक्की से लोग डबल फायदा उठा रहे हैं. एक तो इन्हें आटा भी अच्छा मिल रहा है और पैडल से चलने वाली चक्की से उनकी वॉकिंग भी हो रही है. शिंदे ने पैडल से चलने वाली चक्की के लिए साईकल की चेन, लोहे के पाइप, साइकिल की सीट, साइकिल के पैडल का इस्तेमाल करते हुए चक्की बनाया.

देश विदेशों में बढ़ रही मांग 

चार साल की मेहनत के बाद अब शिंदे इस पैडल वाली चक्की को बाजारों में बेच रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों में अर्जुन की पैडल वाली चक्की बिक रही है. अब उन्हें विदेशों से भी पैडल से चलने वाली चक्की के लिए मांग की जा रही है. शिंदे का कहना है कि बढ़ती हुई मांग को देखते हुए वह ग्राहक से ऑर्डर पूरा करने के लिए एक महीने का समय मांग रहे हैं. एक महीने के अंदर ही ग्रहको को पैंडल से चलने वाली चक्की भेज रहे हैं. (रिपोर्ट/इसरारुद्दीन चिश्ती)

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