विश्व में केला एक ऐसा फल है जो सबसे ज्यादा खाया जाता है. भारत में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सबसे ज्यादा केले की खेती होती है. वहीं अब उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके में केले की खेती शुरू हो गई है. केले की खेती को फैलाने में बाराबंकी के आठवीं पास किसान राम शरण वर्मा का सबसे बड़ा योगदान है. वह पिछले 32 सालों से केले की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बाराबंकी जिले में केले की खेती की शुरुआत की और फिर एक ऐसा मॉडल विकसित की जिसके माध्यम से आज उत्तर प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा क्षेत्रफल पर केले की खेती हो रही है. खेती में नए-नए प्रयोग और केले की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ाने में उनके योगदान के लिए 2019 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया है.
बाराबंकी के पद्मश्री से सम्मानित किसान राम शरण वर्मा ने किसान तक को बताया कि केले को शोध करने के लिए महाराष्ट्र ,केरल , तमिलनाडु और बेंगलुरु तक गए. बहुत से जगह पर इसका हमने अनुभव सीखा. वैसे आज हम केला की खेती 100 से 125 एकड़ जमीन पर कर रहे हैं. आज हमारे प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल पर केले की खेती हो रही है. आज हमने पूरे भारत में सर्वे किया है तो पता चला जितने किसान केला वाले हैं वे सब धनी किसान है. केला की खेती करने में किसान को पूरे साल काम नहीं करना है. केले की खेती में फायदा ही फायदा है क्योंकि एक पौधे पर ₹100 तक लागत आती है लेकिन वह पौधा जब तैयार होता है तो वह 400 से ₹500 कम कर देता है. इस तरह 4 गुना तक का फायदा होता है. राम शरण वर्मा ने बताया की केले की खेती के लिए कभी भी बाजार खोजने की जरूरत नहीं होती है बल्कि उत्तर प्रदेश में हर किसान को बाजार उपलब्ध रहता है.
राम शरण वर्मा बताते हैं कि हमको बहुत बड़ी खुशी है कि आज हम आज हमारी वजह से लाखों हेक्टेयर में खेती हो रही है और हजारों किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. हजारों किसानों को इसकी रोजगार मिल रहा है. आज हम 30000 से ज्यादा लोगों को काम दे रहे हैं. उन्होंने कहाँ कि हम रोजगार लेकर आए , बाजार लेकर आए और फिर खाने के लिए हमको केला हमारे उत्तर प्रदेश में मिलने लगा है.
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उत्तर प्रदेश में केले की खेती का समय 15 जून से 15 जुलाई का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. वही यह फसल सितंबर में तैयार होती है. इस तरीके से किले की फसल की अवधि 12 से 14 महीने की होती है. किसान इस बात का ध्यान दें कि केले की खेती ना तो अगस्त में करें नहीं निर्धारित समय से पहले करें. इससे 10 से 15% पैदावार घट जाती है. इसकी एक पौधे से दूसरे पौधे की बीच की दूरी 6 फीट रखनी चाहिए. वही लाइन से लाइन की दूरी भी 6 फीट सबसे उपयुक्त मानी गई है. इस हिसाब से एक एकड़ में 1200 पौधे लगाते हैं. कुछ किसान 1500 पौधे तक एक एकड़ में लगा लेते हैं लेकिन इससे दूरी घट जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है. केले की G-9 किस्म सबसे उपयुक्त मानी गई है. इसके टिश्यू कल्चर का पौधा लैब में तैयार होते हैं जो रोग रोधी होते हैं.
बनाना मैन नाम से मशहूर किसान राम शरण वर्मा ने बताया कि केले की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. केले की खेती के लिए जमीन का पीएच 6.5 से लेकर 7 पॉइंट तक होना चाहिए. खेत में जल निकास वाली मिट्टी का चयन केले की खेती के रूप में करना चाहिए. केले को पानी से एलर्जी है इसलिए पानी भरकर केले की खेती नहीं करनी चाहिए. केले के लिए ऊसर भूमि नहीं होनी चाहिए. केले की पौध लगाने से पहले खेत में गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए. इससे केले की फसल अच्छी पैदा होती है. केले को हमेशा मेड़ पर लगाना चाहिए. केले के लिए ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है बल्कि नमी की जरूरत होती है.
पद्मश्री से सम्मानित किसान राम शरण वर्मा ने बताया कि अगर एक एकड़ में 1200 केले के पौधे लगाए जाए तो 350 से 400 कुंतल केले की पैदावार होती है. अगर केला ₹10 प्रति किलो के भाव से भी बिक तो निश्चित रूप से एक एकड़ में चार लाख रुपए तक का खेल पैदा होता है जबकि फसल लागत 20 से 25 फ़ीसदी ही आती है. इस तरह केले की खेती करने में किसान को प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपए तक का फायदा होता है. केले की खेती के लिए किसान को बाजार खोजने की भी जरूरत नहीं है बल्कि जो भी नजदीकी मंडी है वहां बड़ी आसानी से केला बिक जाता है.
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