Success Story: मक्का और अरहर की खेती से नहीं चला खर्च तो शुरू की आम की बागवानी, अब 13 लाख तक पहुंचा शुद्ध मुनाफा

Success Story: मक्का और अरहर की खेती से नहीं चला खर्च तो शुरू की आम की बागवानी, अब 13 लाख तक पहुंचा शुद्ध मुनाफा

जगदीशभाई जेरा भाई चौहान, गुजरात के मोकल गांव के निवासी हैं. ये पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके मक्का, अरहर, धान, मिर्च वाली कद्दूवर्गीय सब्जियां उगाते हैं. जिसकी मदद से पारिवारिक जरूरतों और सामाजिक मामलों को पूरा कर वह कुछ पैसे भी कमा लेते हैं. जिसके बाद उन्होंने आम की किस्मों को बढ़ाने की इच्छा जताई और एक छोटी नर्सरी विकसित की.

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Success Story: मक्का और अरहर की खेती से नहीं चला खर्च तो शुरू की आम की बागवानी, अब 13 लाख तक पहुंचा शुद्ध मुनाफाआम की नर्सरी तैयार कर कमा रहे लाखों का मुनाफा

आजकल एक फसल कि खेती कर जीवन चलना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव भी है. बढ़ती महंगाई के कारण हर चीज के दाम आसमान छूने लगे हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि सभी लोग अधिक से अधिक आय अर्जित करें ताकि जीवनयापन संभव हो सके. इसी क्रम में एक किसान ने सबसे पहले मक्का और अरहर की खेती शुरू की. लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि यह पर्याप्त नहीं है, तो उन्होंने आम की बागवानी शुरू कर दी. आज वह करीब 13 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है उनकी सफलता की कहानी.

इन तरीकों से शुरू की बागवानी

जगदीशभाई जेरा भाई चौहान, गुजरात के मोकल गांव के निवासी हैं. ये पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके मक्का, अरहर, धान, मिर्च वाली कद्दूवर्गीय सब्जियां उगाते हैं. जिसकी मदद से पारिवारिक जरूरतों और सामाजिक मामलों को पूरा कर वह कुछ पैसे भी कमा लेते हैं. लेकिनजीवन यापन के लिए अधिक पैसों कि जरूरत होती है. अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए, उन्होंने 0.50 हेक्टेयर क्षेत्र में केसर, मल्लिका, राजापुरी, लंगड़ा, अल्फांसो किस्मों के आम के पेड़ लगाए हैं. गुजरात में, देश में गुणवत्तापूर्ण आम रोपण सामग्री की महत्वपूर्ण मांग है. ऐसे में इस मांग को पूरा करने और आम इन फसलों कि खेती के बारे में अधिक जानकारी हंसिल करने के लिए उन्होंने केंद्रीय बागवानी प्रयोग स्टेशन (ICAR- केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान), वेजलपुर, गोधरा, पंचमहल, गुजरात का दौरा किया. 

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शुरू किया ग्राफ्टेड पौधों का व्यवसाय

उन्होंने आम की किस्मों को बढ़ाने की इच्छा जताई और एक छोटी नर्सरी विकसित की. इसके बाद, उन्हें किसानों को बिक्री के लिए ग्राफ्टेड पौधों का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने के लिए सीएचईएस, वेजलपुर के विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी रूप से निर्देशित किया गया क्योंकि इन किस्मों की भारी मांग है. उन्हें स्टेशन पर कार्यरत वैज्ञानिकों (ए.के. सिंह, वी.वी. अप्पा राव, एल.पी. यादव और गंगाधर के.) द्वारा आम की व्यावसायिक गुणन तकनीकों और नर्सरी उगाने के बारे में अन्य तकनीकी जानकारी के बारे में प्रशिक्षित किया गया था. कृषि विशेषज्ञ अक्सर उनकी नर्सरी का दौरा करते थे और उन्हें जरूरी सलाह भी देते थे. 

तीन सालों में कमाया इतना मुनाफा

धीरे-धीरे उनको कोशिश रंग लाने लगी. उन्होंने वर्ष 2021-2022 और 2023 में आम के 5500, 6000 और 6500 ग्राफ्टेड पौधे तैयार किए. उन्होंने विभिन्न किसानों को 15000 ग्राफ्टेड आम के पौधे 100 रुपये में बेचे. उन्होंने समय-समय पर सीएचईएस विशेषज्ञों के द्वारा दी गई सभी तकनीकों और सुझावों को लागू किया. इस सरल तकनीक को अपनाकर वह बहुत अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. उत्पादन की कुल लागत (₹225000/), सकल रिटर्न (₹1500000/) और शुद्ध रिटर्न (₹1275000/) उनके द्वारा तीन वर्षों में कमाया गया था. आम की कलम से वह हर साल 4 लाख से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. अब, उन्होंने बड़े पैमाने पर पेड़ों को बढ़ाने के लिए बेल की जड़ें उगाना शुरू कर दिया है.

दूसरे लोगों को भी दे रहे रोजगार

अब वह आम के ग्राफ्टेड पौधों के उत्पादन में बड़ा और अच्छा काम कर रहे हैं. वह बहुत खुश हैं और उन्होंने आम की नर्सरी से अच्छी आय अर्जित की है. वह 3-5 मजदूरों को मौसमी रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं. अतिरिक्त आय कमाने के लिए फलों की, फसल की नर्सरी विकसित करने लगे हैं और दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं.

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