
पटना से अब गंगा काफी दूर जा चुकी है. कभी शहर को छूकर बहने वाली गंगा की लहरों में जो वेग दिखाई देता था, अब वह नहीं है. ना ही पहले जैसी अब बाढ़ आती है क्योंकि जब बाढ़ आती थी तो इसके दियारा इलाके में खेती करने वाले किसानों को फसलों में कई रोगों के साथ जीव जंतुओं से मुक्ति मिलती थी. इससे खेत को पोषण भी मिलता था. लेकिन पिछले एक से दो साल के दौरान वर्षा कम होने की वजह से इन इलाकों की खेती प्रभावित हो रही है. इस साल पटना के दियारा इलाके में सब्जी की खेती करने वाले किसान चूहों के आतंक से काफी परेशान हैं. किसान कहते हैं कि गंगा के इस पार से लेकर उस पार तक चूहों का आतंक काफी बढ़ चुका है. इसका यह परिणाम है कि फसल अच्छी होने के बावजूद भी उत्पादन बहुत कम हो रहा है. टमाटर हो या लौकी की फसल, सभी के पौधे चूहे काट दे रहे हैं. साथ ही सब्जियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहे हैं.
पटना शहर से लेकर गंगा के उस पार तक दियारा करीब चार कोस में फैला हुआ है. इन इलाकों में हजारों बीघे में सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पटना सहित अन्य जिलों में सब्जी भेजी जाती है. पटना शहर से जैसे जैसे गंगा की धारा दूर होती गई, वैसे-वैसे लोगों के द्वारा गंगा के दियारा में खेती शुरू कर दी गई. पहले इन जमीनों पर खेती करने के लिए पैसा नहीं देना पड़ता था. अब किसानों को इसके लिए राशि देनी पड़ती है.
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पटना के एलसीटी घाट के आसपास करीब पांच बीघे में टमाटर, गोभी, बैंगन सहित अन्य सब्जियों की खेती शिवनाथ राय ने की है. खेत में अपनी पत्नी उषा देवी के साथ टमाटर तोड़ते हुए वे किसान तक को बताते हैं कि इस साल गंगा में बाढ़ नहीं आने की वजह से चूहों का आतंक काफी बढ़ गया है. वैसे तो हर साल इनका आतंक रहता है. लेकिन इस बार उनके खेत गंगा के पानी से लंबे समय तक नहीं डूब पाए. इसकी वजह से चूहों का आतंक ज्यादा बढ़ा है. वहीं करीब तीस प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है.
उनकी पत्नी कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि चूहों का आतंक सब्जी की खेती पर ही देखने की मिल रहा है. बल्कि जब गेहूं की फसल तैयार हो जाएगी, उस दौरान चूहे गेहूं को भी काफी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते हैं.
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पांच बीघा के आसपास किराए पर जमीन लेकर टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती कर रहे किसान गुड्डू कुमार कहते हैं कि बारह हजार रुपये बीघा जमीन किराए पर लिए हैं. करीब एक बिघा सब्जी की खेती पर चालीस हजार रुपये के आसपास खर्च आया है. मगर चूहों की वजह से टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. पिछले साल जहां जनवरी महीने में हर दिन पांच से छह क्विंटल तक टमाटर खेत से निकलता था. वहीं इस बार दो क्विंटल से अधिक नहीं निकल रहा है. वहीं अभी तक बीस से पच्चीस हजार से अधिक की कमाई नहीं हो पाई है. आज से दस दिन पहले टमाटर बीस रुपये किलो व्यापारी को बेचते थे. लेकिन अब दस से बारह रुपये से अधिक नहीं बिक रहा है.
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