Avocado Farming: एवोकाडो ने बनाया लखपति, एक एकड़ में खेती से 10 लाख तक की कमाई

Avocado Farming: एवोकाडो ने बनाया लखपति, एक एकड़ में खेती से 10 लाख तक की कमाई

महाराष्ट्र के बीड में एवोकाडो की खेती से एक किसान की जिंदगी बदल गई. परमेश्वर थोराट नाम के किसान ने साल 2018 में एवोकाडो की खेती शुरू की. 3 साल बाद उनको पहली बार फल मिले. अब उनको एक एकड़ में हर साल 10 लाख रुपए तक की कमाई होती है.

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एवोकाडो ने बनाया लखपति, एक एकड़ में खेती से 10 लाख तक की कमाईAvocado Farming (Photo/Meta AI)

महाराष्ट्र के बीड में परमेश्वर थोराट साल 2018 से एवोकाडो की खेती कर रहे हैं. इससे उनको लाखों की कमाई हो रही है. उनके लिए ये सफर आसान नहीं था. शुरुआती दिनों में उनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एवोकाडो की खेती के लिए गुणवत्ता वाली मिट्टी और पानी की कमी की समस्या से जूझना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इस दोनों समस्या का समाधान ढूंढ निकाला और अब उनकी अच्छी-खासी कमाई हो रही है.

कैसे मिला आइडिया?

परमेश्वर थोराट साल 2018 से एवोकाडो की खेती कर रहे हैं. उनको ये आइडिया तब आया, जब वो किसी काम से बेंगलुरु गए थे, वहां थोराट ने एवोकाडो की अर्का सुप्रीम किस्म की खेती देखी. इसके बाद थोराट ने इसके बारे में जानकारी हासिल तो पाया कि इसे बीड के सूखाग्रस्त इलाके में भी उगाया जा सकता है. फिर उन्होंने फैसला कर लिया कि अपने गांव में वो एवोकाडो की खेती करेंगे. आपको बता दें कि एवोकाडो की अर्का सुप्रीम किस्म को 45 डिग्री सेल्सियम तक के तापमान में उगाया जा सकता है.

पानी की कमी थी बड़ी समस्या-

किसान परमेश्वर थोराट के लिए एवोकाडो की खेती करना आसान नहीं था. इसके लिए उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी समस्या तो खेती के लिए गुणवत्तापूर्ण मिट्टी और पानी की कमी थी. हालांकि परमेश्वर ने हार नहीं मानी और एवोकाडो की खेती के लिए पूरी तरह से जुट गए.

सबसे पहले थोराट ने 0.75 एकड़ में कई गड्ढे खोदवाए. इन गड्ढों का आकार 2 बाई 2 फीट था. इन गड्डों में गोबर का खाद भर दिया. इससे मिट्टी काफी उपजाऊ हो गई. मिट्टी उपजाऊ होने के बाद दूसरी चुनौती पानी की कमी थी. पानी की कमी को दूर करने के लिए किसान ने ड्रिप सिंचाई सिस्टम को अपनाया. इस विधि में पानी सीधे पौधों की जड़ों में जाता है और पानी बर्बादी भी नहीं होता है. इतना ही नहीं, थोराट ने अपने खेत में एक तालाब बनवाया, ताकि उसमें बारिश का पानी इकट्ठा किया जा सके. इस पानी का इस्तेमाल उस समय करते हैं, जब सबसे भीषण गर्मी का वक्त होता है.

थोराट करते हैं जैविक खेती-

परमेश्वर थोराट ने शुरुआत में एवोकाडो के पौधों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया. लेकिन जब उनको जैविक खाद के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इसे अपनाना बेहतर समझा. उसके बाद से वो हमेशा गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं. इससे पौधे बेहतर होते हैं और एवोकाडो खाने वाले की सेहत भी अच्छी रहती है. मार्केट में जैविक उत्पादों की डिमांड भी ज्यादा है.

थोराट ने पौधों की उम्र और उपज बढ़ाने के लिए ग्राफ्टिंग भी की. इसमें एक पौधे की जड़ों को दूसरे पौधे के तने के साथ मिलाया जाता है. इसका फायदा भी खेती में हुआ.

लाखों की हो रही कमाई-

एवोकाडो के पेड़ तैयार होने में 3 से 4 साल का वक्त लगता है. जबकि ग्राफ्टेड पेड़ों को फलने में 4-5 साल लग सकते हैं. परमेश्वर थोराट को पहली फसल के लिए 3 साल का इंतजार करना पड़ा. साल 2021 में उपज ज्यादा नहीं थी. लेकिन अगले साल 50 पेड़ों से फल मिलने लगे. इसके बाद थोराट के अच्छे दिन आ गए. साल 2023 में उनको 1200 किलो से अधिक एवोकाडो के फल मिले. इस खेती से थोराट को एक एकड़ में एक साल में 10 लाख रुपए की कमाई होती है.
 

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