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Saffron Farming: सास और बहू ने मिलकर एक हॉल में उगा दिया कश्मीर का केसर, जिले की महिलाओं को दिखाई राह

Saffron Farming: सास और बहू ने मिलकर एक हॉल में उगा दिया कश्मीर का केसर, जिले की महिलाओं को दिखाई राह

मैनपुरी की रहने वाली एक महिला ने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर कश्मीर के केसर को अपने घर में न सिर्फ उगाया बल्कि इससे महिलाओं को रोजगार भी दिया. शुभा भटनागर ने अपनी बहू मंजरी भटनागर के साथ मिलकर केसर की खेती के लिए ट्रेनिंग ली और फिर तकनीक की मदद से एक हॉल में  केसर उगाने में सफलता प्राप्त की.

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केसर की खेती कश्मीर में ही नहीं होती है बल्कि इसे अब गर्म प्रदेशों में भी उगाया जाने लगा है. घर के कमरों में निर्धारित तापमान में अब कश्मीर के केसर को अलग-अलग शहरों में उगाने का काम जोरों पर चल रहा है. मैनपुरी की रहने वाली एक महिला ने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर कश्मीर के केसर को अपने घर में न सिर्फ उगाया बल्कि इससे महिलाओं को रोजगार भी दिया. शुभा भटनागर ने अपनी बहू मंजरी भटनागर के साथ मिलकर केसर की खेती के लिए ट्रेनिंग ली और फिर तकनीक की मदद से एक हॉल में केसर उगाने में सफलता प्राप्त की. 2 साल पहले कुछ अलग करने की चाह ने शुभा भटनागर को केसर की खेती के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने गूगल और यूट्यूब के माध्यम से कई तरह के वीडियो देखे और फिर जानकारी हासिल करके केसर की खेती को शुरू की. 

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एक हॉल में उगा दिया कश्मीर का केसर

मैनपुरी की रहने वाली शुभा भटनागर ने घर के एक हॉल में ही केसर की खेती को सफलतापूर्वक करके न सिर्फ महिलाओं को एक संदेश दिया है बल्कि एक राह भी दिखाई है. 2023 में शुभा भटनागर और उनकी बहू मंजरी भटनागर कश्मीर गई थीं. उन्होंने एक सप्ताह रहकर वहां खेती के तौर तरीकों को सीखा. फिर उन्होंने रघुवीर शीत गृह में एक हॉल में केसर के बीज की बुवाई की. फिर एक लंबे प्रयास के बाद दोनों की मेहनत रंग लाई. पहली फसल में शुभा और मंजरी को दो हजार किलो केसर बीज प्राप्त हुआ. केसर की 750 रुपये प्रति एक ग्राम के हिसाब से उन्होंने बिक्री भी की. उनके मजबूती इरादों से आज जिले की महिलाओं को संदेश भी मिला है. 

कम लागत में ज्यादा मुनाफा 

भटनागर को केसर की खेती के लिए एक ऐसी जगह की जरूरत थी जो पूरी तरीके से वातानुकूलित हो. इसके लिए सास-बहू ने रघुवीर शीत गृह में 550 वर्ग फीट का एक हॉल तैयार किया. इसके लिए उन्होंने कश्मीर से केसर के 2000 किलोग्राम बीज खरीदे. पहली फसल की सफलता के बाद दूसरी फसल की बुवाई में भी उन्हें सफलता मिली. उन्होंने एरोपोनिक तकनीक से लकड़ी की ट्रे में वातानुकूलित कमरों में केसर को तैयार किया. इसके लिए उन्हें सितंबर और अक्टूबर में केसर की बुवाई की थी.

शुभा भटनागर बताती हैं कि उन्हें केसर की खेती करने में लगभग 25 लाख रुपये की लागत आई. वह केसर को एक्सपोर्ट नहीं करेंगी बल्कि अपने देश में ही केसर के उत्पादन को बढ़ाने का काम करेंगी. उनके इस प्रयास से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिला है. उन्होंने अब फसल की देखरेख के लिए ग्रामीण अंचल की 25 महिलाओं को चुना है जो उनकी केसर की खेती को उगाने में मदद कर रही हैं.