अगर आपको खेती-किसानी के लिए सबसे सस्ता लोन चाहिए तो साहूकारों का चक्कर छोड़िए और बैंक की शरण में जाईए. केंद्र सरकार चाहती है कि देश के हर किसान के पास किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) यानी केसीसी हो. न सिर्फ इसे बनवाने का प्रोसेस बहुत आसान कर दिया गया है बल्कि प्रोसेसिंग फीस भी खत्म कर दी गई है. यही नहीं पीएम किसान योजना से इसे लिंक भी कर दिया गया है. ताकि केसीसी बनवाना और आसान हो जाए. इस योजना के तहत लिए गए लोन को अगर आप समय से वापस कर देते हैं तो सिर्फ 4 फीसदी ब्याज लगेगा. इतने कम ब्याजदर पर कहीं भी आपको लोन नहीं मिलेगा. लेकिन इसका लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. इससे पहले यह जानते हैं कि आवेदन कैसे होगा.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम की वेबसाइट के फार्मर कॉर्नर में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का फॉर्म मिलेगा. यह सिर्फ एक पेज का है. इसे डाउनलोड करके भरिए. इसमें पैन कार्ड और आधार कार्ड की फोटो कॉपी लगाइए. इसमें आवेदक किसान की फोटो भी लगानी होगी. एक शपथपत्र भी लगेगा. जिसमें यह जिक्र होगा कि आपने किसी और बैंक से लोन नहीं लिया है और न तो किसी बैंक में बकाया है. जिस भी बैंक में आपका खाता है या पीएम किसान योजना का पैसा आ रहा है उसमें इस फार्म को जमा करवा दें. सरकार ने बैंकों को आदेश दिया है कि अगर सबकुछ सही है तो सिर्फ 14 दिन के अंदर कार्ड बनाकर देना होगा.
इसे भी पढ़ें: GI Tag Rice: बासमती के तिलिस्म से मुक्ति के लिए तड़प रहे खुशबूदार विशेष चावल
आईए अब जानते हैं कि खेती, मछलीपालन, पोल्ट्री और डेयरी सेक्टर के कौन लोग केसीसी के जरिए सबसे सस्ता लोन लेने के लिए पात्र हैं. ताकि आवेदन से पहले आप खुद ही जान सकें कि पात्रता के पैमाने पर फिट हैं या नहीं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने केसीसी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 4 जुलाई 2018 को जारी मास्टर सर्कुलर के अनुसार पात्रता की जानकारी दी है. किसान की उम्र 18 से 75 साल के बीच होनी चाहिए.
आरबीआई ने 4 फरवरी 2019 और 18 मई 2022 को पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र में केसीसी लेने की पात्रता बताई है. डेयरी और मछलीपालन क्षेत्र को केसीसी से बहुत बाद में जोड़ा गया. इस क्षेत्र के लिए लिमिट 2 लाख रुपये रखी गई है.
इसे भी पढ़ें: IFFCO Nano Urea: क्या भारत की नैनो फर्टिलाइजर क्रांति से जल रहे हैं विदेशी वैज्ञानिक?
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today