दुनियाभर में अगले साल इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 मनाया जाना है. इसको लेकर भारत सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. असल में भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को प्रस्ताव दिया था कि साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (International Year of Millets) के रूप में रूप में घोषित किया जाए. भारत सरकार के इस प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया था. जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 मार्च, 2021 को घोषणा की कि 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जाएगा. भारत सरकार की इस पूरी पहल का उद्देश्य दुनियाभर में मोटे अनाजों की खेती को बढावा देना है. वहीं भारत के कई राज्य सरकारें भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं.
देश में मोटे अनाजों की उपज बढ़ाने के लिए कई राज्य सरकारों के द्वारा कई पहल की गई हैं. जिसमें ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना प्रमुख हैं. इस पहल के तहत राज्य सरकार मोटे अनाजों की खेती करने वाले किसानों को 10 हजार तक की सब्सिडी दे रही हैं. आइए जानते हैं मोटे अनाजों की खेती को बढावा देने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा क्या-क्या पहल की गई हैं और इनका उपज पर क्या प्रभाव पड़ा है.
ओडिशा राज्य के द्वारा साल 2018 में ओडिशा मिलेट मिशन (ओएमएम), ‘फार्म टू प्लेट’ टैग लाइन के साथ शुरू की गई थी. इस मिशन का उद्देश्य राज्य के 15 जिलों में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देना और राज्य स्तर पर पोषण में सुधार करना है. वहीं इस राज्य ने साल 2018-2019 में सूबे के 7 जिलों में पीडीएस के तहत रागी को शामिल कर लिया था.
वहीं कर्नाटक की ओर से मोटे अनाजों को "भविष्य का भोजन" के रूप में पहल करने के अलावा मोटे अनाजों की खेती पर 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है. साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन का आयोजन किया जाता है. वहीं 2013 में कर्नाटक सरकार की ओर से सव्य भाग्य योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत सरकार ने कर्नाटक राज्य जैविक प्रमाणन एजेंसी के माध्यम से किसानों को जैविक प्रमाणीकरण जारी किया जाता है.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से जलवायु अनुकूल कृषि पर परियोजना के माध्यम से मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं तेलंगाना सरकार द्वारा मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई पहल किए गए गए हैं जिनमें रायथु बंधु समिति और मोटे अनाजों के लिए विशेष एफपीओ प्रमुख हैं.
2018 के बाद देश में बदली मोटे अनाजों की खेती की तस्वीर
• 2017-18 में उत्पादन 164 लाख टन था जो कि 2020-21 में 176 लाख टन है.
• 2017-18 में उपज 1163 किग्रा/हेक्टेयर थी जो 2020-21 में 1239 किग्रा/हेक्टेयर है.
• 2017 में मोटे अनाजों का निर्यात 21.98 मिलियन यूएस डॉलर था जो 2020 में 24.73 मिलियन यूएस डॉलर है.
• 10 पोषक-अनाज सहित 154 रोग प्रतिरोधी उन्नत किस्में विकसित हुई हैं.
• गुणवत्तापूर्ण नए बीजों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है.
• 400 से अधिक उद्यमी जुड़े हैं, 1000 रुपये करोड़ का कुल अनुमानित कारोबार
• भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) की स्थापना जो 14 राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है.
• 67 मूल्यवर्धित प्रौद्योगिकियां विकसित की गईं हैं.
क्षेत्र |
क्षेत्र (लाख हेक्टेयर) |
उत्पादन (लाख टन) |
अफ्रीका |
489 (68%) |
423 (49%) |
अमेरिका |
53 (7%) |
193 (23%) |
एशिया |
162 (23%) |
215 (25%) |
यूरोप |
8 (1%) |
20 (~2%) |
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड |
6 (~1%) |
12 (~1%) |
भारत |
138 (20%) |
173 (20%) |
विश्व |
718 |
863 |
(स्रोत: एफएओ स्टेट 2021)
• भारत >170 लाख टन (एशिया का 80% और वैश्विक उत्पादन का 20%) का उत्पादन करता है.
• वैश्विक औसत उपज: 1229 किग्रा/हेक्टेयर, भारत में 1239 किग्रा/हेक्टेयर
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today