प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज (17 सितंबर) जन्मदिन है. वे आज 73 वर्ष के हो गए. उससे पहले प्रधानमंत्री को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई. शुक्रवार को दुनिया के नेताओं की एक वैश्विक रेटिंग आई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अव्वल स्थान मिला. रेटिंग में पाया गया कि 76 परसेंट लोगों ने पीएम मोदी के नेतृत्व को सबसे अच्छा माना जबकि 18 परसेंट लोगों ने इस बात को नकारा. हाल के वर्षों में इस तरह के जितने भी सर्वे आए हैं, उनमें पीएम मोदी ने हमेशा टॉप किया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) अलग-अलग तरीकों से पीएम मोदी का जन्मदिन मनाएगी. उदाहरण के तौर पर त्रिपुरा की बीजेपी इकाई ने पीएम मोदी के जन्मदिन के जश्न को 'नमो विकास उत्सव' नाम दिया है. दिन की शुरुआत कुमारघाट पीडब्ल्यूडी ग्राउंड पर योग सत्र से होगी, जिसमें मुख्यमंत्री माणिक साहा, उनके कैबिनेट सहयोगी और दिल्ली और त्रिपुरा के वरिष्ठ पार्टी नेता शामिल होंगे.
17 सितंबर को प्रधानमंत्री के 73 वर्ष के होने के साथ, कुल 73 प्राथमिकता वाले परिवारों को पीजी राशन कार्ड प्राप्त होंगे, जबकि भगवद गीता की 73 प्रतियां छात्रों के बीच वितरित की जाएंगी और 73 विकलांग व्यक्तियों को भी मदद दी जाएगी. इसी कड़ी में ये भी जान लेते हैं कि देश में ऐसी कौन सी कृषि योजनाएं हैं जो प्रधानमंत्री से सीधा जुड़ी हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पीएम बनने के बाद मोदी ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाईं. आइए उनमें छह स्कीम के बारे में जान लेते हैं.
2015 में शुरू की गई यह योजना देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में राज्य सरकारों की सहायता के लिए शुरू की गई है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं. साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों की उचित खुराक का सुझाव भी देते हैं. अब तक देश के करोड़ों किसानों को यह कार्ड दिया जा चुका है.
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यूरिया के उपयोग को कम करने, फसल के लिए नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने और उर्वरक की लागत को कम करने के लिए योजना शुरू की गई है. नीम कोटेड यूरिया उर्वरक के रिलीज को धीमा कर देता है और इसे फसल को प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराता है. खास बात ये है कि देश में बने और आयातित यूरिया की पूरी मात्रा को अब नीम कोटेड कर दिया गया है. खेतों में इसका असर भी पॉजिटिव देखा जा रहा है. नीम कोटिंग करने से यूरिया की खपत 10 परसेंट तक कम हो गई है. इससे खेती की लागत कम होगी और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार होगा.
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) लागू की गई है. इसे 2015 में लॉन्च किया गया. इससे मिट्टी के स्वास्थ्य और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में सुधार होगा और किसान की शुद्ध आय में वृद्धि होगी. इस योजना के अंतर्गत खेती का क्लस्टर बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है. इस योजना में किसानों को लाभार्थी बनाया जाता है. इस योजना के लिए 60 परसेंट फंड केंद्र से और 40 परसेंट राज्य की ओर से दिया जाता है. इस योजना का लक्ष्य है कि एक गांव में कम से कम जैविक खेती का एक क्लस्टर बनाया जाए और उसे विकसित किया जाए. इसमें कई किसान एक साथ इस योजना का लाभ लेते हैं.
1 जुलाई, 2015 को 'हर खेत को पानी' के नारे के साथ शुरू की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) पानी की बर्बादी को कम करने और पानी के उपयोग में सुधार करने के लिए लागू किया गया है. पीएमकेएसवाई न केवल सिंचाई के लिए स्रोत बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि पानी बचाने और सुरक्षित सिंचाई के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर फसलों को पानी उपलब्ध कराने पर जोर देता है. 'प्रति बूंद-अधिक फसल' सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई को भी बढ़ावा दिया जाता है.
इसे शॉर्ट में PMFBY कहते हैं. यह योजना किसानों की समृद्धि के लिए चलाई जा रही ऐसी योजना है जो न केवल किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है बल्कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है. उचित समय पर लिए गए बीमा से किसान बिन मौसम वर्षा और जलभराव जैसे कारणों से होने वाले आर्थिक नुकसान की स्थिति में अपना बचाव कर सकते हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ बुआई पूर्व से लेकर फसल कटाई के बाद के नुकसान तक फसल बीमा कवरेज दिया जाता है. इसे साल 2016 में शुरू किया गया था.
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पीएम किसान सम्मान निधि योजना भारत सरकार से 100 परसेंट फंडिंग वाली एक केंद्रीय योजना है. इसका पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है. अभी तक इसकी 14 किस्तें जारी हो चुकी हैं. इसमें हर साल पात्र किसानों के खाते में तीन किस्तों में छह हजार रुपये दिए जाते हैं. एक किस्त में दो हजार रुपये दिए जाते हैं. पैसे का ट्रांसफर डीबीटी यानी कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिये किया जाता है. पीएम-किसान योजना फरवरी 2019 में शुरू की गई थी. पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में कुल राशि पात्र लाभार्थियों को 58,201.85 करोड़ रुपये वितरित किए गए.
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