
बिहार में विकास की गाड़ी को रफ्तार देने के लिए एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने के लिए आमस से जयनगर तक एक्सप्रेस -वे बनाया जा रहा है, लेकिन राज्य के किसानों ने एक्सप्रेस-वे निर्माण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. असल में किसान एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिकृत की गई जमीन की मुआवजा राशि को लेकर किसान नाराज हैं. विरोध कर रहे किसानों ने स्पष्ट किया है, जब तक अधिकृत जमीन का मुआवजा बाजार भाव का चार गुना किसानों को नहीं दिया जाता है, तब तक उनका विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. मालूम हो कि राज्य सरकार ने 2013 के सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा देने की बात कही है.
औरंगाबाद से जयनगर तक बनने वाला एक्सप्रेस-वे करीब 271 किलोमीटर लंबा होगा, जो 8 जिलों से होकर गुजरेगा. इनमें मुख्य रूप से औरंगाबाद, गया, नालंदा, पटना, जहांनाबाद, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी तक फोरलेन रोड बनाया जाएगा. यह एक्सप्रेस वैशाली से समस्तीपुर और दरभंगा होते हुए नेपाल सीमा पर जाकर जयनगर में खत्म होगा. इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण राज्य व केंद्र सरकार की मदद से किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 7500 करोड़ रुपये के आसपास है.
ये भी पढ़ें-गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी : बकाया भुगतान के 450 करोड़ रुपये जारी, डीबीटी से होगा भुगतान
एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए इन दिनों प्रशासन जमीन समतलीकरण का काम पटना जिले के धनरूआ और फतुहा प्रखंड में करवा रहा है, लेकिन किसानों का कहना है कि प्रशासन लाठी के दम पर काम करवा रही है. फतुहा प्रखंड के भेडगावां के रहने वाले मनीष कुमार कहते हैं कि भेडगावां मौजा के थाना 73 के तहत आने वाली खेसरा संख्या 1783 की जमीन व्यावसायिक है, जिसकी रजिस्ट्री 90 हजार रुपये डिसमिल है, लेकिन सरकार उसे कृषि भूमि बताकर साढ़े चौदह हजार रुपये डिसमिल के भाव से लेना चाहती है. वहीं बाजार का भाव 14 लाख रुपये डिसमिल है. हमारी सरकार से यह मांग है कि जमीन का मूल्य बाजार के चार गुना भाव से देगी. तभी उनको जमीन दिया जाएगा. इसी के गांव के किसान संजीव कुमार की पूरी जमीन ही एक्सप्रेस -वे में जा रही है. वह कहते हैं कि कुल मिलाकर सात कट्ठा जमीन ही है. वह भी सड़क निर्माण में जा रही है. अभी उस जमीन की कीमत 12 लाख रुपये कट्ठा है, जबकि सरकार जमीन की कीमत साढ़े चौदह हजार रुपए डिसमिल दे रही है. यह सही नहीं है. वहीं विरोध करने पर प्रशासन लाठी के बल पर चुप करवा रही है.
धनरूआ प्रखंड के मानिक बिगहा के रहने वाले मनोज कुमार ने किसान तक को बताया कि अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने एक गैस कंपनी को 100 स्क्वायर फीट जमीन डेढ़ लाख रुपये में बेचा है, जबकी सरकार उनकी पांच कट्ठा जमीन साढ़े चौदह हजार रुपए डिसमिल से ले रही है. विरोध करने पर पुलिस लाठी चलाती है. वहीं 65 वर्षीय सुरेश सिन्हा के पास करीब 9 एकड़ जमीन है, जिसमें से करीब पौने तीन एकड़ जमीन जा रही है. वह कहते हैं कि दोनों प्रखंड (अंचल) की करीब 200 एकड़ से अधिक जमीन एक्सप्रेस वे के लिए अधिगृहीत की जा रही है, जिसमें फतुहा प्रखंड की करीब 69 एकड़ जमीन जा रही है. वहीं अधिकांश जमीन आवासीय और कमर्शियल है. इनका बाजार मूल्य बारह से चौदह लाख रुपये है, लेकिन सरकार सभी जमीन को कृषि आधारित मान रही है. जब तक सरकार बाजार भाव के चार गुना दाम पर नहीं देती है. तब तक किसानों का विरोध जारी रहेगा.
ये भी पढ़ें- Monsoon 2023: मॉनसून की देरी का क्या होगा किसानों पर असर, जान लें पूरी बात
एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए पटना जिले के धनरूआ और फतुहा अंचल के 12 मौजा की करीब 205 एकड़ जमीन को अधिगृहीत किया जाना है, जिसमें से कुछ किसानों को मुआवजा भी दिया जा चुका है. धनरूआ अंचल के आठ मौजा बघवर, बहरामपुर, पिपरावां, बिजपुरा, नसरतपुर, छाती, पभेरा और टरवां है. वहीं फतुहा अंचल के जैतिया, वाजिदपुर, भेडगावां, रबिया चक मौजा है. वहीं प्रशासन के द्वारा 2020 में स्थल निरीक्षण के दौरान जारी सर्वे में कहा गया है कि धनरूआ और फतुहा अंचल के 12 मौजा की जमीन कृषि आधारित जमीन है. वहीं पिछले कुछ दिनों से जमीन मुआवजा का विवाद बढ़ता देख भू अर्जन पदाधिकारी रंजन कुमार चौधरी, एसडीओ प्रति कुमारी सहित अन्य पदाधिकारी धनरूआ ब्लॉक के नोनिया बिगहा गांव में किसानों से मुलाकात की.
उस दौरान भू अर्जन पदाधिकारी ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही जमीन का मुआवजा किसानों को दिया जा रहा है. वहीं फतुहा अंचल के किसानों के विरोध के बाद 25 करोड़ रुपये की राशि कोर्ट में जमा करवा दिया गया है. अब यहां के किसानों को मुआवजा की राशि कोर्ट से लेना होगा. सर्वे कृषि जमीन के तौर पर किया गया है. उसके अनुसार ही मुआवजा दिया जाएगा. आगे जैसा आदेश आएगा. उसके अनुसार मुआवजा दिया जाएगा.
मंगलवार और बुधवार को धनरूआ अंचल के मानिक बिगहा, नोनिया बिगहा में पुलिस और ग्रामीणों के बीच विवाद देखा गया. वहीं बुधवार को नोनिया बिगहा में जमीन समतल करवाने के दौरान किसानों के द्वारा पत्थर मारने पर पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज भी किया. प्रशासन पुलिस के दम पर जमीन समतल करने का प्रयास भी किया. वहीं किसानों के साथ मारपीट की घटना की जानकारी मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंची स्थानीय विधायक रेखा देवी ने किसान तक को बताया कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती है. तब तक काम बंद रहेगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी मौके पर आकर किसानों की समस्या सुनेंगे. उसके बाद ही काम शुरू किया जाएगा. राज्य की सरकार किसानों की है. उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जमीन कृषि, आवासीय,प्रगतिशील, कमर्शियल जमीन के लिए अलग-अलग शुल्क लेती है. तो किसानों को मुआवजा भी उसी आधार पर दिया जाना चाहिए.
बुधवार को विधायक रेखा देवी ने काम बंद करने को कहा था, लेकिन गुरुवार को दोपहर में प्रशासन भारी पुलिस दल के साथ फिर एक बार काम करवाने के लिए पहुंच गई है. इसके साथ ही मानिक बिगहा गांव के लोगों ने बताया कि बुधवार की रात को पुलिस लोगों के घरों में छानबीन भी की .
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today