महाराष्ट्र के किसानों के लिए खुशखबरी है. अगर वे बांस की खेती करते हैं, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने प्रदेश में बांस की खेती को बढ़ावा देने का प्लान बनाया है. सरकार का मानना है कि बांस की खेती से पर्यावरण को काफी फायदा होगा. साथ ही किसानों की अच्छी इनकम होगी और हवा की क्वालिटी भी में सुधार आएगा. वहीं, मुख्यमंत्री के इस प्लान से किसानों के बीच खुशी की लहर है.
जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि राज्य में 10,000 हेक्टेयर में बांस की रोपाई की जाएगी. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंगलवार को मुंबई में पर्यावरण स्थिरता शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद शिंदे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के आज के युग में कार्बन उत्सर्जन को कम करना सबसे महत्वपूर्ण है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बांस लगाना एक बेहतर विकल्प है. शिंदे ने कहा कि प्राकृतिक चक्र में बदलाव और बेमौसम मौसम, ओलावृष्टि और भारी बारिश जैसे मुद्दों को पर्यावरणीय परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.
उन्होंने बांस रोपण पहल के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के सरकार के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाने वाला बांस अन्य पेड़ों की तुलना में काफी अधिक कार्बन अवशोषित करता है. शिंदे ने कहा कि सरकार की योजना राज्य में शहरी वन स्थापित करने और प्रमुख राजमार्गों पर बांस लगाने की है. उन्होंने बायोमास स्रोत के रूप में बांस के महत्व, इथेनॉल पैदा करने और केंद्र सरकार द्वारा थर्मल पावर प्लांटों में उपयोग के लिए मंजूरी दिए जाने के बारे में भी जानकारी दी.
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सीएम शिंदे ने कहा कि सरकार किसानों को बांस की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है. अगर किसान बास की खेती करते हैं, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के शोधकर्ताओं और बांस विशेषज्ञों ने भाग लिया. कार्यक्रम में राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल, गोदरेज उद्योग समूह के नादिर गोदरेज और पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे उपस्थित थे.
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