कई राज्यों में प्राइमरी स्कूली बच्चों को मिड्डे मील के जरिए फोर्टीफाइड चावल दिया जा रहा है. अधिक पोषण मात्रा के चलते इस चावल की स्कूलों में आपूर्ति 2019-20 से शुरू की गई है. अब बीते सप्ताह केंद्र सरकार ने फोर्टिफाइड चावल पर लगने वाली जीएसटी दर को घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. इससे मिलर्स का वित्तीय बोझ घटने और मार्जिन बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि मिलर्स इस चावल की डिलीवरी एफसीआई को तेज करेंगे, जिससे राज्यों को भरपूर आपूर्ति मिलेगी. इसके नतीजे में मिड्डे मील, पीडीएस समेत दूसरी खाद्य योजनाओं के लिए फोर्टिफाइड चावल की उपलब्धता बढ़ सकती है.
फोर्टिफाइड चावल (Fortified Rice) मिलों में बनाया जाता है और इसमें अत्यधिक पोषण होता है. फोर्टिफाइड चावल में आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फोलिक एसिड की ज्यादा मात्रा होती है. इसके साथ ही जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड चावल भी तैयार किए जाते हैं. इस चावल को कुपोषण को दूर करने के लिए स्कूली बच्चों को मिड्डे मील में कई राज्यों में दिया जाता है. जबकि, गर्भवती महिलाओं और कई तरह बीमारी में भी इस चावल को खाने की सलाह चिकित्सक देते हैं.
हरियाणा और पंजाब के चावल मिलर्स लंबे समय से जीएसटी दर 18 फीसदी को घटाने की मांग कर रहे थे, जिसे बीते सप्ताह जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में मंजूर कर लिया है. परिषद ने फोर्टिफाइड चावल पर 18 फीसदी जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. हरियाणा के मिलर्स ने बीते दिनों मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को चिट्ठी लिखकर मामले को उठाया था. मिलर्स का कहना था कि 18 फीसदी जीएसटी दर ने वित्तीय बाधाएं बढ़ा रखी थीं, क्योंकि मिलर्स को 5,000 रुपये प्रति क्विंटल और 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ फोर्टिफाइड चावल (एफआरके) खरीदना पड़ता था. इसके उलट सरकार केवल 5 फीसदी जीएसटी दर को ही रिइंबर्स करती थी. इस असमानता ने मिलर्स का वित्तीय बोझ बढ़ा रखा था.
प्रैक्सिस ग्लोबल एलायंस के एग्रीकल्चर और फूड प्रैक्टिस लीडर अक्षत गुप्ता ने बताया कि फोर्टिफाइड चावल पर पिछले 18 फीसदी GST को घटाने के फैसले ने मिलर्स का वित्तीय बोझ कम कर दिया. इससे कैश फ्लो की समस्या से राहत मिली है. जीएसटी दर में कमी सीधे चावल मिलर्स के मार्जिन में सुधार करेगी. यह बदलाव चावल मिलिंग इंडस्ट्री को जरूरी स्थिरता और राहत देता है.
एक्सपर्ट ने कहा कि जीएसटी दर में असमानता से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को कस्टम मिलिटराइज्ड डिलीवरी को रोक दिया था. एफसीआई राज्यों को फोर्टिफाइड राइस आपूर्ति करता है, जिससे राज्य पीडीएस, मिड्डे मील समेत दूसरी खाद्य योजनाओं के लिए इस चावल की आपूर्ति करता है. अब ताजा फैसले से फोर्टिफाइड चावल अधिक किफायती हो जाएगा. इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), मिड डे मील योजना और दूसरे सरकारी खाद्य आपूर्ति कार्यक्रमों के जरिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता में और बढ़ोत्तरी होगी. इसका मतलब यह है कि ज़्यादा लोग, खास तौर पर वे लोग जो इन कार्यक्रमों से जुड़े हैं अतिरिक्त पोषक तत्वों वाले फोर्टिफाइड चावल को पा सकेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने स्कूली बच्चों को मिड्डे मील में अधिक पोषण वाले फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने के लिए 2019-20 में योजना लागू की थी. उसके बाद से आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में पीडीएस के जरिए लगभग 94,574 टन फोर्टिफाइड चावल वितरित किया जा रहा है.
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