पंजाब के किसान सोमवार को फिर से जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं. दरअसल, पंजाब के किसान पानी के उचित वितरण और गेहूं और दालों के लिए बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग कर रहे हैं. यहां कम से एक साथ कम चार-पांच किसान यूनियन पहुंचे हैं. इन सभी यूनियन का एकसुर में कहना है कि उन्हें किसानों के लिए और राज्य के लिए पानी के बेहतर वितरण की जरूरत है, तभी खेती-बाड़ी का काम हो पाएगा. यूनियनों ने कहा कि सारा पानी राजस्थान और दिल्ली जा रहा है. ऐसे में पंजाब के किसान क्या करेंगे.
किसानों ने शिकायती लहजे में कहा कि सरकार ने गेहूं और दालों पर एमएसपी पर भी कुछ नहीं किया है. इस पर भी जितनी जल्द हो सके, फैसला होना चाहिए. वरना किसान अपना आंदोलन आने वाले समय में और भी तेज करेंगे. इसी क्रम में दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को बीकेयू राजेवाल, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, बीकेयू मनसा और आजाद किसान संघर्ष कमेटी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
पंजाब के सभी किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने की मांग में अपना आंदोलन कर रह हैं. इसके अलावा, किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का निस्तारण, सभी मुकदमों की वापसी, श्रमिकों के खिलाफ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में दर्ज सभी मामलों को वापस लेने, फलों और सब्जियों के साथ सभी फसलों के सुनिश्चित बाजार, किसानों और खेत के लिए कुल कर्ज माफी सहित कई मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
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दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को किसानों का जत्था पहुंचा और अपनी सभी मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू किया. 13 मार्च के बाद एक बार फिर सभी किसान दिल्ली में एकत्रित होंगे. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को भूलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 20 मार्च को बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में इकट्ठा होकर सरकार के खोखले वादों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर दिल्ली पुलिस और आरएएफ के जवानों के साथ भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात दिखी.
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पंजाब के किसान अपने प्रदेश में भी लगातार विरोद प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार के अलावा प्रदेश की सरकार से भी उनकी कई मांगें हैं. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा फसलों के उचित दाम का है जबकि पंजाब में लगातार कम होते भूजल स्तर को लेकर भी किसान अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. इसके अलावा आवारा पशुओं का मुद्दा भी बेहद गरम है जिससे किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं. (भारत चौहान की रिपोर्ट)
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