किसानों के लिए यह अच्छी खबर है. मध्य प्रदेश के मुरैना में देश का पहला सोलर पावर स्टोरेज प्लांट बनने जा रहा है. इस प्लांट का सीधा फायदा आम लोगों के साथ किसानों को मिलेगा. उन्हें सिंचाई का पंप चलाने के लिए बिजली की निर्बाध सप्लाई मिल सकेगी. इससे न केवल मध्य प्रदेश के किसानों को फायदा होगा बल्कि यूपी के किसान भी सुविधा उठा सकेंगे. मुरैना में बनने वाले इस प्लांट में 600 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. इस योजना का नाम मुरैना-1 रखा गया है. इस प्लांट के निर्माण का काम 2025 में शुरू होगा और 2027 में यह काम करना शुरू कर देगा.
पहले प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सरकार मुरैना प्रोजेक्ट-2 शुरू करेगी जिसमें 2 हज़ार मेगावॉट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगेगा. आपको बता दें कि देश में अपनी तरह का यह पहला सोलर पावर प्लांट होगा जहां बिजली को स्टोर कर रात में भी बिजली सप्लाई की जा सकेगी. अभी तक देश में ऐसा कोई स्टोरेज प्लांट नहीं है जहां बिजली को जमा किया जा सके. मुरैना में करीब तीन हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर बनने वाले 600 मेगावॉट क्षमता के इस प्लांट की लागत करीब 3500 करोड़ रुपये रहेगी.
खास बात यह है कि आमतौर पर सोलर पावर प्लांट दिन के समय बिजली देते हैं, लेकिन सूरज ढलने के बाद सप्लाई को लेकर जो समस्या आती है वो इस प्लांट में नहीं आएगी. दरअसल, यहां दिन में सूरज की गर्मी से बनी बिजली स्टोर कर ली जाएगी और रात के समय ज़रूरत पड़ने पर यहां से बिजल दी जा सकेगी. इस प्लांट को बनाने के बाद कोशिश यह रहेगी कि मध्य प्रदेश और यूपी यहां से 6-6 महीने के पीरियड में बिजली खरीद सकें. इससे खासतौर पर रबी फसलों के दौरान उन किसानों को फायदा होगा जिन्हें रात के समय सिंचाई के लिए बिजली दी जाती है.
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अभी मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश, राज्य सरकारें रबी फसलों के लिए जो बिजली लेती हैं वो कई बार महंगी दरों पर खरीदी जाती है. लेकिन इस प्लांट से सरकार को बिजली 4-5 रुपये प्रति यूनिट की दर पर मिल सकेगी. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है. मध्य प्रदेश के रीवा में दुनिया का सबसे बड़ा रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट है जो 750 मेगावॉट बिजली उत्पादन करता है. इस प्लांट से 76 फीसदी बिजली मध्य प्रदेश की पावर जनरेशन कंपनियों को तो वहीं 24 फीसदी बिजली दिल्ली मेट्रो को दी जाती है.
मुरैना का सोलर प्लांट बनने के बाद किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकता है. उन्हें सिंचाई के लिए बिजली की कमी नहीं होगी क्योंकि इस प्लांट की सप्लाई का बड़ा हिस्सा खेती-बाड़ी में इस्तेमाल हो सकता है. इस प्लांट में दिन में जहां उत्पादन का काम होगा उसे स्टोर करके रखा जाएगा. उस स्टोर बिजली को रात में सिंचाई जैसे काम में उपयोग में लिया जा सकता है. इस तरह के और भी काम में सोलर से पैदा हुई इस बिजली का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
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