असम में किसानों को राहत और सुविधाएं पहुंचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इसी के तहत अब किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जा रहा है. इस कार्ड के जरिए किसानों को अपने मिट्टी के समुचित स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिल पाएगी. इसके आधार पर किसान उस मिट्टी में फसलों और सब्जियों की खेती कर पाएंगे और मिट्टी की जरूरत के हिसाब से खाद और पोषक तत्वों का उचित मात्रा में इस्तेमाल कर पाएंगे.
इसी के तहत असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राज्य भर में चार लाख से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) का वितरण शुरू किया. यहां एक आधिकारिक समारोह में सरमा ने कहा कि सरकार लगभग 10 लाख एसएचसी किसानों के बीच वितरित किया जाएगा और उनमें से चार लाख पहले से ही वितरित होने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि हमारे कृषक बंधु आत्मनिर्भर असम के हमारे मिशन के सूत्रधार हैं. मैं आज हमारे किसानों के लिए कई पहल समर्पित कर रहा हूं.
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सरमा ने कहा कि राज्य में मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रयोगशालाओं की संख्या पहले के पांच से बढ़ाकर 26 कर दी गई है.एसएचसी के वितरण के साथ-साथ किसानों को कृषि मशीनरी सौंपी गई और कृषि मंत्री अतुल बोरा की उपस्थिति में मुख्यमंत्री द्वारा कृषि ज्ञान केंद्रों का उद्घाटन किया गया.सरमा ने अपने भाषण में कहा कि हम 816 ग्रामीण कृषि उपकरण बैंक स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं. इससे पहले, हमारे पास राज्य में केवल 80 ऐसे बैंक थे. उन्होंने कहा कि सरकार 96 कृषि ज्ञान केंद्र और 93 कृषि विकास कार्यालय भी शुरू कर रही है.
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक रिपोर्ट होती है जिसमें किसान के खेत के मिट्टी से संबंधित पूरी जानकारी होती है. इस कार्ड में मिट्टी के 12 मानकों के आधार पर जानकारी दी जाती है. इस रिपोर्ट में मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा, मिट्टी का पीएच मान, मिट्टी में मौजूद फॉस्फोरस, पोटैशियम, पीएच कार्बनिक कार्बन, जिंक, बोरोन, मैंगनीज, और कॉपर की मात्रा के बारे में पूरी जानकारी होती है. इसके आधार पर किसान अपनी मिट्टी का सुधार कर सकते हैं और सही मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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