केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ओडिशा के पुरी से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का शुभारंभ किया. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से शुरू किया गया अभियान वैज्ञानिक नवाचार और जमीनी स्तर पर भागीदारी के माध्यम से भारतीय कृषि को बदलने और देश के खाद्य भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक कदम है. 15 दिवसीय अभियान के दौरान चौहान लगभग 20 राज्यों की यात्रा करेंगे.
इस मिशन को साकार करने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी और सभी राज्यों से सामूहिक स्वामित्व और समर्पण के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने की अपेक्षा जताई गई है.
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. किसान जब खेत में बीज बोता है तो वो केवल बीज नहीं बोता, जीवन बोता है. इस साल देश में 3539.59 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न हुआ है, जो पिछले साल से 216.61 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है, लेकिन रुकना नहीं है और पैदा करना है. भारत केवल भारत की जनता का पेट नहीं भरेगा, हमको दुनिया का फूड बॉस्केट बनना है. अगर उत्पादन बढ़ाना है तो सबसे आवश्यक है अच्छे बीज, मैं ICAR के वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं, जो लैब में निरंतर प्रयोग करके नए बीज तैयार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कल ही केंद्रीय कैबिनेट ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. "विकसित कृषि संकल्प अभियान" का मतलब है कि वैज्ञानिक लैब से निकलकर खेत में किसानों के बीच जाएं, गांव में आपके साथ बैठें, आज से सभी वैज्ञानिक लैब से निकलकर आपके गांव में आ रहे हैं. मैं पूरे देश के किसानों से अपील करना चाहता हूं कि वैज्ञानिक आपके गांव में आ रहे हैं...आप समय निकालिए और उनके साथ बैठिए, खेती में नए प्रयोग सीखिए और उत्पादन बढ़ाइए.
इस अभियान में दो-तरफा संचार दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, एक तरफ वैज्ञानिक किसानों के साथ अनुसंधान और तकनीकी जानकारी साझा करेंगे, वहीं दूसरी तरफ वे किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी जुटाएंगे. ये निष्कर्ष भविष्य के अनुसंधान प्रयासों को दिशा देने और व्यावहारिक, स्थान-विशिष्ट समाधान देने में मदद करेंगे.
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गुरुवार को मीडिया से एक बार फिर बातचीत के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा की. शिवराज सिंह ने कहा कि कल (शुक्रवार) से एक व्यापक अभियान शुरू हो रहा है. ‘लैब टू लैंड’ को जोड़ने के लिए कल (शुक्रवार) से हमारे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक अभियान पर निकलेंगे.
चौहान ने कहा कि 16 हजार वैज्ञानिकों की टीमें बनी हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगी. 2170 टीमें बनी हैं जो संपर्क करेंगी. एक दिन में एक टीम 2 गांवों में जाएंगी. यह अभियान 15 दिन तक चलेगा और किसानों के बीच बैठकर सीधा संवाद होगा. क्षेत्र की जलवायु, पानी, मिट्टी के पोषक तत्व व अन्य बातों का ध्यान रखते हुए उसके आधार पर कौन सी फसल बोनी चाहिए, कौन सी वैराइटी होनी चाहिए, खाद का कितना संतुलित उपयोग करना चाहिए. उसके साथ-साथ प्राकृतिक खेती और दलहन और तिलहन की खेती के संबंध में किसानों से चर्चा की जाएगी.
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वैज्ञानिक, किसानों की व्यावहारिक समस्याओं के समाधान सीधे संवाद के जरिए सुलझाएंगे. खेत की आवश्यकता के अनुसार आगे शोध की दिशा भी तय होगी. चौहान ने एक बार फिर से सभी लोगों से इस अभियान से जुड़ने और देशव्यापी स्तर पर इसे कारगर और सफल बनाने का आह्वान किया.
यह अभियान 29 मई से 12 जून, 2025 तक 700 से अधिक जिलों में आयोजित किया जाएगा. इस अभियान में 731 केवीके, 113 आईसीएआर संस्थान, राज्य स्तरीय विभाग और कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के अधिकारी और नवोन्मेषी किसान शामिल होंगे. इस अभियान के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प की दिशा में एक मजबूत अध्याय जोड़ने का प्रयास किया गया है.
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