प्रयागराज और आसपास के जिलों में रहने वाले किसानों के लिए ये अच्छी खबर है. सीएम योगी मंगलवार को नैनी में जिस बायो सीएनजी प्लांट का शुभारंभ करेंगे वह प्रतिदिन 21.5 टन गैस के साथ 209 टन जैविक खाद बनाएगा. प्रयागराज शहर में घरों, होटल-रेस्टोरेंट्स और मंदिरों से 200 टन गीला कचरा हर दिन निकलता है. अब इसी कचरे से प्रयागराज नगर निगम 53 लाख रुपए सालाना कमाई करने जा रहा है. यानी जिस सब्जी, फल-फूल या जूठन को कभी यूं ही फेंक दिया करते थे, उसी से रोजाना अब 21500 किलो बायो सीएनजी और 209 टन जैविक खाद बनेगी. इस प्लांट की कुल क्षमता 343 टन प्रति दिन उत्पादन की है. हर दिन प्लांट से 21.5 टन बायो CNG के साथ 109 टन ठोस जैविक खाद और 100 टन तरल जैविक खाद बनेगी. यह प्लांट प्रयागराज और आसपास के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
पहले चरण में 200 टन क्षमता के नगरीय कचरे से बायो सीएनजी बनाने का कार्य पूरा हो चुका है. बाकी 143 टन धान के पुआल और गोबर से गैस बनाने का काम प्रगति पर है. पीपीपी मॉडल से इस बायो सीएनजी प्लांट का संचालन होगा. इसके लिए प्रयागराज नगर निगम ने 12.49 एकड़ जमीन नैनी के जहांगीराबाद में अरैल घाट के पास दी है. प्लांट का संचालन एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड करेगी. इसके लिए नगर निगम और कंपनी के बीच 25 साल के लिए अनुबंध हुआ है. इसके बाद कंपनी प्लांट का संचालन नगर निगम को सौंप देगी. फिलहाल इस प्लांट के संचालन के लिए करीब 1250 यूनिट बिजली की हर दिन खपत हो सकती है.
प्लांट के जरिए जैविक कचरे को ऊर्जा में बदलकर हर साल करीब 56700 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा. लैंडफिल से कचरे का यह डायवर्जन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में और सहायता करता है. इस प्लांट को करीब 125 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. इस प्लांट से बायो-सीएनजी की आपूर्ति प्रयागराज सहित उत्तर प्रदेश में औद्योगिक और खुदरा ग्राहकों को भी की जाएगी. परियोजना में लगभग 200 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने पर, प्लांट से लगभग 25 कर्मियों को सीधे रोजगार मिलेगा, जबकि 100 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से काम मिल सकेगा. इसके अलावा स्थानीय आर्थिक विकास में भी योगदान देगा. प्रयागराज नगर निगम आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि इस बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना से निगम को आय होगी. साथ ही प्रतिदिन 200 टन गीले कचरे का निपटारा हो सकेगा. वहीं हवा की गुणवत्ता सुधार की दिशा में प्लांट मील का पत्थर साबित होगा.
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