छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समुदायों के शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य नागरिक अधिकारों से जुड़ी तमाम अहम घोषणाएं की हैं. इसके तहत आदिवासी बहुल इलाकों को सड़क सुविधाओं से लैस करने और वन अधिकार पत्र देने के अलावा पहली बार बेहद कमजोर श्रेणी में शुमार किए गए आदिवासी समुदायों को पर्यावास अधिकार यानी Habitat Right दिए गए. बघेल ने आदिवासी बहुल बस्तर और सीतापुर सहित अन्य जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में शिरकत की. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की पहल की थी. इसके बाद ही पूरे देश में आदिवासी दिवस का महत्व स्थापित हुआ.
आदिवासी दिवस के मौके पर बघेल ने बस्तर में आदिवासी सुमदायों के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित करने की गारंटी का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के सभी जिला मुख्यालयों में जल्द ही बीएड और डीएड कॉलेज खोले जाएंगे. उन्होंने कहा कि इससे आदिवासी समुदायों को उच्च शिक्षा पाने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे. इसके अलावा उच्च शिक्षा पाकर ही आदिवासी समुदायों का टीचिंग में भी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.
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बघेल ने कहा कि आदिवासी बहुल गांवों को मुख्य संपर्क मार्गों से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क सुविधाएं होने से आदिवासी समुदाय विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे. इसके लिए बस्तर जिले में दूरदराज के गांव बोदली से कहचेनार तक 10 किमी की नई सड़क का निर्माण होगा. मुण्डागढ़ सेओडिसा में लूलेर दलदली मलकानगिरी तक 11 किमी की सड़क के अलावा लगभग आधा दर्जन सड़कों का निर्माण कराने की घोषणा की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जगदलपुर में खेल से जुड़ी प्रतिभाओं को निखारने के लिए इंडोर स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा.बघेल ने जगदलपुर के धरमपुरा गांव में पुलिस थाना भवन का निर्माण कराने की स्वीकृति भी प्रदान की.
मुख्यमंत्री बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर छत्तीसगढ़ में कमजोर श्रेणी में रखे गए जनजाति समूह ‘‘कमार’’ को विशेष तोहफा देते हुए उन्हें पर्यावास अधिकार यानी Habitat Rights का मान्यता पत्र प्रदान किया. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में पहली बार विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार प्रदान किया गया है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़, देश का दूसरा राज्य बन गया है, जहां विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार दिया गया है. बघेल ने धमतरी जिले में मगरलोड ब्लॉक के 22 कमार टोला के मुखिया को पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए.
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वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 2 (ज) में पर्यावास अधिकारों को परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार किसी क्षेत्र में रहने वाली जनजाति के दायरे में आने वाले क्षेत्र में उस जनजाति के पारंपरिक एवं रूढ़िगत सामाजिक, सांस्कृतिक और आजीविका से जुड़ी गतिविधियों को संरक्षित करने के लिए उस समुदाय को इन गतिविधियों को सुचारु रखने का अधिकार दिया जाता है.
इसमें जनजाति समुदाय विशेष के पारंपरिक रूप से रहन सहन, जैव विविधता अथवा पारंपरिक ज्ञान का अधिकार मान्य करने के साथ उनके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु मान्यता प्रदान की जाती है. बघेल ने कहा कि पर्यावास अधिकार प्रदान करने की यह पहल विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों तथा कमार जनजाति समुदाय के विभिन्न टोलों को भी अपने सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के संरक्षण से जुड़े कानूनी अधिकारों को मजबूती प्रदान करेगी.
सीएम बघेल ने कहा कि वन अधिकार मान्यता पत्र के माध्यम से आदिवासी समुदायों को दी गई जमीन की ऋण पुस्तिका बनाई गई है. ऋण पुस्तिका बनने से पट्टाधारकों के लिए समर्थन मूल्य पर कृषि और लघु वन उपज तथा मिलेट्स बेचना संभव हो रहा है. इसके साथ ही साथ उन्हें खेती के लिए ब्याज रहित ऋण भी उपलब्ध हो रही है.
आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी जननायकों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के गौरवपूर्ण स्मरण के रूप में डाक टिकट एवं विशेष आवरण जारी किया गया. इस मौके पर बघेल ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी जननायकों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में किये गये योगदान को याद किया.
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