राजस्थान की मरू भूमि में पानी की अहमियत बच्चा –बच्चा जानता है. प्रदेश के किसान भी इस बात से अनभिज्ञ नहीं है. क्योंकि लगभग पूरे उत्तर भारत में खेती का भविष्य अच्छे मानसून पर ही निर्भर होता है. अगर किसी साल बरसात अच्छी नहीं होती तो उस बरस खेती भी अच्छी नहीं होती है. इसीलिए जैसे-जैसे तकनीकी बढ़ी, खेती में भी इसका इस्तेमाल बढ़ने लगा. पानी बचाने के लिए किसानों द्वारा ड्रिप इरिगेशन सिस्टम यानी बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली को अपनाया जाने लगा.
इस प्रणाली से ज्यादा से ज्यादा किसान जुड़ें इसके लिए सरकार ने भी सूक्ष्म सिंचाई मिशन शुरू किया. इससे पैदावार भी अच्छी होगी और पानी की बचत भी होगी.
जयपुर से करीब 50 किमी दूर जोबनेर में गांव बोबास के रहने वाले 38 साल के फूलचंद बैरवा ने राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन योजना का लाभ लिया है. वे बताते हैं, “पहले मैं पारंपरिक तरीके से खेती करता था और सिंचाई के लिए कुएं या बोरवेल पर ही निर्भर था. पानी की कमी के कारण पहले समय पर सिंचाई नहीं हो पाती थी, जिसके कारण कई बार उनकी मेहनत और फसल दोनों खराब हो जाती थी.”
कुछ समय पहले ही फूलचंद को राज्य सरकार के राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत संचालित बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति की जानकारी मिली. इसके बाद फूलचन्द ने बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति के लिए विभाग में आवेदन कर दिया. आवेदन करने के बाद उनके डेढ़ हैक्टेयर खेत में फॉर्म पौंड बनाया गया और खेत को ड्रिप सिस्टम से जोड़ दिया गया. इससे उनके खेतों की सिंचाई बूंद-बूंद सिंचाई से होने लगी.
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फूलचंद के खेत में 1.80 लाख की लागत से ड्रिप सिस्टम तैयार किया गया. इतनी बड़ी राशि के भुगतान में 75 फीसदी हिस्सा राजस्थान सरकार ने दिया. फूलचन्द बताते हैं कि इस ड्रिप सिस्टम लगाने से सिंचाई में 90 प्रतिशत तक पानी की बचत हुई है. साथ ही पैदावार एवं आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है. अब फूलचंद अपने आसपास के किसानों को भी इस योजना के बारे मे जागरूक कर रहे हैं.
राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत अधिकतम पांच हैक्टेयर के खेत में ड्रिप सिस्टम लगाया जाता है. इसके लिए राज्य सरकार ‘पहले आओ, पहले पाओ‘ के आधार पर किसानों का चयन करती है. इस योजना में किसानों को ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए लागत का 70 फीसदी सब्सिडी देती है.
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इसके अलावा लघु एवं सीमांत किसानों, महिला किसानों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. योजना में आवेदन के लिए किसान किसी भी नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए पहचान पत्र और जमाबंदी की नकल चाहिए होती है.
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