गर्मियों के दिन आते ही गाय और भैंस कम दूध देने लगती है. क्योंकि गर्मी के दिनों में पशुओं के चारे में हरी घास की कमी हो जाती है. वहीं पशुओं के दूध देने की कमी से पशुपालकों को आर्थिक तौर पर नुकसान भी झेलना पड़ता है. वहीं किसानों के स्थिति ज्यादा खराब न हो इसके लिए गाय-भैंसों को चारे के रूप में हरी-भरी घास देने की सलाह दी जाती है. हरे घास में हाथी घास के नाम से मशहूर नेपियर घास पशुओं के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. यह घास न केवल पशुओं में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाती है बल्कि इससे पशुओं का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है. इसको लेकर राजस्थान के गहलोत सरकार अपने 2023-24 वाली बजट में घोषणा थी कि कृषि विभाग द्वारा राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के तहत जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में नेपियर घास के दो प्रदर्शन प्रगतिशील पशुपालकों के यहां यह घास एक हेक्टेयर भूमि पर लगाया जाएगा.
इससे पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता बढ़ेगी और दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा. इसको लेकर सरकार किसानों को सब्सिडी भी दे रही है. आइए जानते हैं सरकार कितनी दे रही है सब्सिडी.
हाथी घास की खेती किसान किसी भी मौसम में कर सकते हैं. वहीं अगर आप राजस्थान के किसान हैं और हाथी घास की खेती करना चाहते हैं तो आपको गहलोत सरकार की तरफ उन्हें 10 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. सरकार की तरफ से मिलने वाली इस सब्सिडी को पाने के लिए राजस्थान के किसान को राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा.
हाथी यानी नेपियर पास को बोने के लिए इसके डंठल को काम में लिया जाता है, जिसे नेपियर स्टिक कहा जाता है. स्टिक को खेत में डेढ़ से दो फिट की दूरी पर रोपा जाता है. वहीं एक बीघा में करीब 4 हजार डंठल की आवश्यकता होती है. इस घास के डंठल को जुलाई से अक्टूबर और फरवरी मार्च में बोया जा सकता है. वहीं इसके बीज नहीं होते है.
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पशुपालक नेपियर घास लगाकर उससे प्राप्त होने वाली स्टिकस (डंठल) को अगले पशुपालकों को बेचकर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते है. वहीं नेपियर घास बहुवर्षीय पौधा माना जाता है. इसकी खेती करने से होने पूरे वर्ष भर हरे चारे की कमी की समस्या से पशुपालकों को राहत मिलेगी.
नेपियर पास की पौष्टिकता अन्य सभी घासों की तुलना में सर्वाधिक होती है. इससे पशुओं के दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है. वहीं राज किसान साथी पोर्टल पर सब्सिडी करने के बाद कृषि अधिकारी द्वारा उसका सत्यापन किया जाएगा. भौतिक सत्यापन के बाद किसानों के खाते में सब्सिडी की राशि सीधे ट्रांसफर किया जाएगा.
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