भारतीय मॉनूसन पर अल नीनो के असर को लेकर कई महीनों से कयासबाजी जारी है. इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के माैसम विज्ञान ब्यूरो ने कहा है कि भारतीय मॉनसून पर अल नीनो का असर पड़ना तय है. ऑस्ट्रेलियाई वेदर एजेंसी ने दावा किया है कि अल नीनो के विकसित होने के 4 मानदंड हैं, जिनमें से तीन मानदंड अल नीनो ने पूरा कर लिया है. नतीजतन इस मॉनसून कम बारिश के साथ ही गर्म मौसम की घटना की संभावना बढ़ गई हैं. ब्यूरो ने कहा है कि पिछले 3 से 6 महीनों के दौरान प्रशांत महासागर के एनआईएनओ 3 या एनआईएनओ 3.4 क्षेत्रों में एक स्पष्ट वार्मिंग प्रवृत्ति देखी गई है.
अल नीनो मौसम का एक खास पैटर्न है, जो प्रशांत महासागर से जुड़ा हुआ है. जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा होता है तो अल नीनो पैटर्न बनता है. अल नीनो की वजह से प्रशांत महासागर का तापमान गर्म हो जाता है, ये गर्म पानी भूमध्य रेखा के साथ जब पूर्व की ओर बढ़ता है तो भारत के मौसम पर इसका असर पड़ता है. इस वजह से लू, सूखा, शुष्क मौसम के हालात बनते हैं.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो कृषि उत्पादन की कुंजी है, वह सामान्य रहेगा. दरअसल दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो देश की कुल वार्षिक वर्षा का 76 प्रतिशत हिस्सा है. IMD के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा मानसून में 19 जून तक बारिश 33 फीसदी कम है.
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ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो ने कहा कि पिछले तीन महीनों में से दो महीनों के दौरान पश्चिमी या मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में हवाएं औसत से कमजोर रही हैं, जबकि दो महीने का औसत दक्षिणी दोलन सूचकांक 0.7 या उससे कम रहा है. अधिकांश सर्वेक्षण ची-फेस मेट मॉडल देर से सर्दियों या वसंत तक प्रशांत महासागर के Nino3 या Nino3.4 क्षेत्रों में औसत से कम से कम 0.8 ° C ऊपर यानी गर्म तापमान दिखाते हैं. ब्यूरो ने कहा, "जब अतीत में अल नीनो चेतावनी मानदंड पूरे किए गए थे, तो एक अल नीनो घटना लगभग 70 प्रतिशत विकसित हुई है."
अगस्त के अंत तक अल नीनो की स्थिति विकसित होने की 80 प्रतिशत संभावना है. ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने कहा कि मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर के तापमान में अल नीनो अपने दहलीज पर है. मॉडल आगे वार्मिंग की उच्च संभावना का संकेत दे रहे हैं. सीपीसी ने कहा कि अल नीनो की स्थिति के 2023 के बाकी हिस्सों और 2024 की शुरुआत में ईएनएसओ में वापसी होने की संभावना है. पूर्वानुमान अवधि के अंत तक तटस्थ स्थिति लगभग 36 प्रतिशत तक बढ़ रही है.
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