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मुंबई के बॉर्डर पर रुकेगा किसानों का पैदल मार्च, सरकार को दिया चार दिन का अल्टीमेटम

मुंबई के बॉर्डर पर रुकेगा किसानों का पैदल मार्च, सरकार को दिया चार दिन का अल्टीमेटम

पांच साल बाद किसान फिर सड़कों पर उतरे हैं. किसानों की 14 मांगें हैं जिसके लिए वे आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए अपने मंत्रियों को जिम्मा दिया है. सरकार को भरोसा है कि सभी मांगों पर सहमति बन जाएगी. किसानों का जत्था शुक्रवार को मुंबई पहुंच रही है.

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5,000 किसानों का मुंबई कूच, शुक्रवार रात को मुंबई पहुंचेंगे किसान 5,000 किसानों का मुंबई कूच, शुक्रवार रात को मुंबई पहुंचेंगे किसान

नासिक से 5000 किसानों का एक जत्था मुंबई के लिए रवाना हुआ है. इन किसानों ने सरकार के सामने 14 मांगें रखी हैं जिस पर लगातार बातचीत चल रही है. किसानों का आंदोलन थमे और उनके मुद्दों पर सहमति बने, इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बैठक हुई. बुधवार को बैठक टल गई, लेकिन गुरुवार को बैठक हुई और उसमें कुछ बातों पर सहमति बन गई. तालुक स्तर पर सरकार ने कुछ निर्देश दिए हैं. किसानों का कहना है कि तालुक स्तर पर जब तक सरकारी निर्देश का पालन होता है, तब तक वे अपने मार्च को मुंबई के बॉर्डर पर रोके रखेंगे. अगर निर्देश का पालन नहीं हुआ तो किसानों का मार्च फिर से कूच करेगा.

किसानों के साथ हुई बैठक के बारे में सीपीएम के पूर्व विधायक जिवा गावित ने कहा, सरकार ने हमारी मांगों को मान लिया है. हमने चार दिन का अल्टीमेटम दिया है कि जारी किए गए आदेशों को तालुका स्तर तक लागू किया जाए. तब तक हमारा लॉन्ग मार्च मुंबई की सीमा पर वसींद में रहेगा. समयबद्ध तरीके से कार्यान्वयन शुरू होने के बाद ही हम अपना मार्च वापस लेंगे और अपने गांव वापस लौटेंगे. वरना हम अपना लॉन्ग मार्च जारी रखेंगे और मुंबई में प्रवेश करेंगे.

क्या है पूरा मामला

किसानों की 14 मांगें हैं जिन पर सरकार से बात चल रही है. इसमें एक मांग प्याज के दाम बढ़ाने को लेकर भी है. हालांकि सरकार ने अभी हाल में गिरते प्जाज के दाम से किसानों को राहत देने के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी देने का ऐलान किया है. किसान इसे नाकाफी मान रहे हैं. महाराष्ट्र के नासिक से सोमवार को किसानों का मार्च शुरू हुआ है और इसके शुक्रवार रात को मुंबई पहुंचने की उम्मीद है.

किसान पिछले चार दिन से महाराष्ट्र की सड़कों पर पैदल चल रहे हैं. 16 मार्च को कूच का चौथा दिन है. नासिक से मुंबई निकले किसान शुक्रवार रात को मुंबई पहुंच सकते हैं. नासिक से 175 किमी पैदल चलकर हजारों किसानों का जत्था मुंबई पहुंचेगा. अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक जत्थे में 5000 किसान शामिल हैं जिनमें नासिक जिले के आदिवासी इलाके के किसान अधिक हैं.

किसानों के इस 'लॉन्ग मार्च' में अहमदनगर, धुले और पालघर के किसान भी शामिल हुए हैं. इन किसानों ने भी अपनी मांगें बुलंद करते हुए मुंबई मार्च को समर्थन दिया है. मार्च में शामिल होने वाले किसान अलग-अलग हिस्से से ऑल इंडिया किसान सभा के बैनर तले अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं.

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दो दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों को आमंत्रित किया था और मामले पर बातचीत का आग्रह किया था. लेकिन मार्च के आयोजकों से कोई बात नहीं बन पाई जिसके बाद सरकार से उनकी बैठक टल गई. साल 2018 के बाद नासिक में आयोजित होने वाला किसानों का यह तीसरा मार्च है.

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक किसानों का जत्था नासिक और मुंबई के बीच शाहपुर तक पहुंच गया है. उनका मार्च लगातार जारी है. इससे पहले बुधवार रात को महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्री दादा भूसे और अतुल सावे ने किसानों से मुलाकात की और उनकी मांगों के बारे में जाना. इसके बाद मुंबई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पर एक बैठक आयोजित की गई. गुरुवार को भी मुंबई में शिंदे के साथ किसानों की एक बैठक आयोजित है.

पांच साल बाद फिर आंदोलन

यह पहला मौका नहीं है जब किसान अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए पैदल आंदोलन कर रहे हैं. पांच साल पहले भी ऐसा ही आंदोलन हुआ था और तब सरकार ने भरोसा दिलाया था कि उनकी सभी मांगें मानी जाएंगी. मगर कुछ ही मांगें मानी गईं. अब फिर उन मांगों को आगे रखते हुए किसान नासिक से मुंबई के कूच पर निकले हैं.

कौन है मार्च का मुखिया

यह मार्च नासिक से शुरू हुआ और अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले अहमदनगर, धुले, पालघर के किसान इसमें शामिल हुए. सभा के महासचिव अजीत नवले मार्च के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. उन्होंने कहा कि 2018 में उनकी कुछ मांगों को पूरा किया गया लेकिन अभी भी बहुत कुछ हासिल किया जाना बाकी है.

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अजीत नवले कहते हैं, पांच साल पहले के लॉन्ग मार्च के बाद सरकार ने भरोसा दिया कि कृषि लोन माफी के लिए एक नीति बनाई जाएगी. हालांकि उसके साथ और भी कई मुद्दे हैं जो अभी तक लंबित हैं. प्याज किसानों के लिए सरकार ने प्रति क्विंटल 300 रुपये की सब्सिडी का ऐलान किया है, जबकि मांग 600 रुपये की है. अभी तक सरकार केवल भरोसा दिला रही है और किसानों तक इंसाफी नहीं हो रही. किसान इंसाफ की मांग में सरकार पर अपना दबाव जारी रखेंगे.

किसानों की क्या हैं मांग

प्याज के दाम के अलावा कृषि लोन माफी की मांग बहुत पुरानी है. इसके अलावा वन की जमीन के अधिकार की मांग भी वर्षों से चलती रही है. किसानों का कहना है कि आदिवासी अपनी जमीन जोतते रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक अभी तक नहीं मिला है. इसके लिए सरकार ने लिखित में आश्वासन दिया है, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. एफआरए के तहत लैंड रिकॉर्ड भी बने हैं तो उसमें कई खामियां हैं.

उधर विधानसभा सत्र, इधर किसान मार्च

ये किसान ऐसे समय में मुंबई की ओर कूच कर रहे हैं जब विधानसभा सत्र चल रहा है. शिंदे-फडणवीस इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. मंगलवार को किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक रखी गई थी लेकिन स्थगित कर दी गई. किसानों ने बुधवार को यह कहते हुए बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया कि सरकार को मार्च में आना चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए.(मुंबई से मुस्तफा शेख और नासिक से प्रवीण ठाकरे की रिपोर्ट)